दुसरे दिन सुबह शिखा बाज़ार से आते वक़्त आलोक के घर पर गई।  आलोक के घर पर कोई नहीं था तो शिखा ने हस कर आलोक पर फूलों की बारिश कर दी।  उस दिन सन्डे था तो कॉलेज में छुट्टी थी। आलोक जल्दी से तैयार हो गया और शिखा से मिल ने चला गया। पड़ोस में ही जाना था। आलोक अपने दोस्त के साथ बहार ही बैठा। तभी शिखा की नज़र आलोक पर पड़ी और तुरंत वो आलोक के साथ आ कर बैठी।

मिलने  की खवाईश... (भाग - १ )  ---  मिलने की खवाईश.... (भाग - २ )   ---  मिलने की  खवाईश... ( भाग - ३ ) 

          आलोक के लिए जैसे धमाका होने वाला था। शिखा ने आलोक के पास बैठ के बोला : " आलोक मै तुम्हे कैसी लगती हूं ? " आलोक ने अपनी स्वाभाव के अनुरूप मजकिया अंदाज़ में बोल दिया " हॉस्पिटल के डब्बे की जैसी। " शिखा ने गुस्से में अपने हाथ में रखा हुआ न्यूज पेपर आलोक के पास फेका। आलोक ने गुस्से में न्यूज पेपर को फ़ाड़ दिया। शिखा फिर से गुस्सा हो गई और बोली : " मैंने अभी तक न्यूज पेपर पढ़ा भी और तुमने ये क्या किया । " शिखा ने बोला जाव मेरे लिए दूसरा न्यूज पेपर ले के आओ। फिर से आलोक ने मज़ाक किया दूसरा लाने की क्या ज़रूरत है मुझे सब याद है कहो तो अभी तुमको सुना दू।  शिखा हस पड़ी और  बोली अबे जा गधे बड़ा आया मुझे न्यूज सुनाने वाला..।     

      उस दिन की मुलाकात के बाद आलोक और शिखा बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए थे। साथ में एक दूसरे के लिए नया रिश्ता भी जुड़ रहा था। तीसरे दिन आलोक को पता था की शिखा जरूर मिल ने आयेगी। आलोक सुबह जल्दी से तैयार हो के घर के बाहर बैठ गया। आलोक को कॉलेज जाने में दैर हो रही थी और शिखा अब तक नहीं आई थी। आज न जाने क्यूं शिखा के आते ही आलोक को लगा जैसे मन हल्का हो गया। पहेले दिन की तरह आज भी शिखा ने आलोक पर फूलों की बारिश की और बोली कि आलोक आज कॉलेज नहीं जाओगे तो चलेगा नहीं क्या? बस फिर क्या था आलोक तुरंत घर के अंदर गया और अपनी माॅं के पास गया और बोला आज कॉलेज नहीं जा पाऊंगा माॅं  पेट में बहुत दर्द हो रहा है।

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         और आलोक अपने कमरे में जाके सौ गया। थोड़ी देर बाद आलोक की माॅं  दवाई और पानी ले के कमरे में आई। अब पेट में दर्द तो कोई था नहीं बस शिखा के साथ रहने का एक नाटक था। जैसे ही आलोक की माॅं की नजर कही ओर हुई कि उसने दवाई फेक दी। दों दिन बहाना बना के घर पर रहा। आलोक को अब ये एहसास हो गया कि वो शिखा से प्यार करने लगा है।


            फिर तीसरे तो कॉलेज जाना ही पड़ा। शिखा को भी बता दिया था। सुबह जल्दी उठ कर आलोक घर के बहार बैठ गया और शिखा के आने का इंतजार करने लगा। शिखा ने आते ही आलोक से बोल दिया कि कॉलेज से सीधा घर आ जाना मै तुम्हारा इंतजार करूगी। शिखा ने रोज़ की तरह आज भी फूलों की बरसात की। आलोक ने आज पूछ ही लिया कि ये रोज रोज फूलों की बारिश क्यु ? शिखा ने कहा कि तुम्हारे लिए तो मै अपना थोड़ा टाइम निकला सकती हूं।

   " निभाना जिसको कहते है वो कुछ ही            लोगों को आता है,

      बहुत आसान है ये कहना की मुझे                मोहब्बत है तुमसे "

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Sejal Bhagat

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