मेरे हमसफ़र को खबर कीजिए।

तड़प बढ रही है सफर कीजिए ।


फिज़ा भी थकी सी हुई जा रही

मुझे अपने ही अब डगर कीजिए ।


ज़माने से हो डर भला क्यों उसे

मोहब्बत तो अब हर पहर कीजिए  ।


अदाएं को ही देखके मत फिसल

हसीं ज़िंदगी मत ज़हर कीजिए ।


सुनो वास्ता मेरी कुर्बत की है

मुलाकात मुझसे निडर कीजिए ।


थकन से न घबरा अभी चलना है

  सनम शख्त अपना तेवर कीजिए ।


"यशी " ये अभी तो शुरूआत है

  उन्हीं के ही दिल में जो घर कीजिए ।

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