मौत का नज़ारा हमे भी दिखाना आता है,
सर को धर से अलग करने का हुनर हमे भी आता है।
गर तुम बाज़ नही आओगे,
तो मौत का तांडव यूँही चलेगा,

पढ़े - मौत का नज़ारा हमे भी
मौत की मण्डी में तू हर रोज बिकेगा।
अच्छाई इसी में है कि तुम
अपने हैवानियत से बाज़ आ जाओ,
सर झुका कर घुटनो के बल तुम आ जाओ।

पढ़े - इजहार हो न पाया
क्योकि अब न रुकेंगे हम,
अब न झुकेंगे हम,
अब जो भी बुरी नजर डालेगा हम पे,
घर में घुस के उसका सर कलम करेंगे हम।

पढ़े - तेरी यादो के बिस्तर
ऐ काफिरो हम से अब तुम न टकराओ,
आग का दरिया है हम,
तुम इसमे न झलांग लगाओ,
भस्म हो जाओगे जल कर तुम,
हमे झुकाने की तुम साजिस न करो।

पढ़े - मेरे कब्र के पास
काफिरो अब भी तुम सुधर जाओ,
अच्छाई का दूजा रूप बन कर निखर जाओ।

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