गुलाम देश का वो,
एकलौता आज़ाद था,

पढ़े - मेरे कब्र के पास

जब तक जिस्म में जान रही,
तब तक मूछों पे ताव रहा।

पढ़े - तेरी यादो के बिस्तर

मूछों पे रहता था ताव,
जिस्म में भरा अंगारा था।

पढ़े - मौत का नज़ारा हमे भी

फिरंगियो के गालो पे,
कस के जड़ा उसने तमाचा था।

पढ़े - इजहार हो न पाया

आज़ाद हिंद को करने खातिर,
दिखाया वीरता का नमूना था।

Shubham Poddar

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk