ठोकर खाने की एक आदत सी हो गई है गालिब।

मगर ठोकर खा कर भी सम्हालना ना सीखा आजतक।।

अगर सम्हाल गए तो और ठोकर ना खा सकेंगे।

और कुछ नया ना सीख पाएंगे गालिब ।।


Chandrashekhar Poddar

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