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ऐ इंसान तुम शैतान न बनो खिची है हमने जो मर्यादा की लक्ष्म-रेखा उस रेखा को तुम पार न करो। तुम इंसानियत को सर्म-सार न करो तुम नारियो का अपमान न करो। नारी है आदि-शक्ति की रूप इसे पैरो की जूती न तुम समझो। ये प्रेम-प्रित का समंदर है तो है ये तुफानो का बवंडर भी। मर्द हो तो मगरूर न बनो हैवानो का दूजा रूप न बनो। जोरा है जो रब ने इंसान और इंसानियत के बिच एक डोर उस डोर को तुम तोड़ने की खता न करो। इंसान हो इंसान रहो हैवान बनने की जुर्रत न करो गर तुम हैवानियत का परचम लहराए तो याद कर लेना लक्ष्मीबाई को उसी नारी कुल की वीर है हम जरूरत परी तो खंजर से सीना चिर दे हम। जिसे नारी का सम्मान नही उसे इस पावन धरती पे रहने का अधिकार नही। इसीलिए इंसानियत का धागा तोर तू मत अच्छाई का रास्ता छोर तू मत
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