खुद से बे-खबर मैं रहती हूँ,
पर तेरी हर खबर मैं रखती हूँ।

खुद से दूर मैं रहती हूँ,
पर तेरे करीब मैं हर वक्त रहती हूँ।

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चाह के भी दूर तुझसे हो नही पाती,
कोशिस भी की थी दूर जाने की,
पर ऐसा सोच के हो रूह कांप उठती है।

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तेरी मोहब्ब्त ने कुछ इस कदर हमे दिवाना बनाया है,
जो कभी दिल की नही सुनती थी,
वो आज मैं खुद के ही दिल की गुलाम बन गयी हूँ,
न जाने क्यों ये मोहब्ब्त करने कि गुनाह कर गयी हूँ।

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ना जाने क्यों ये मेरा दिल बेईमान हो गया है,
रहता तो मेरे सीने में,
पर धड़कता क्यूँ बस उसके लिए है।

Shubham Poddar

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