तू नारी है,कमजोर नही
तेरी स्वर में फुंकार है,
तेरी वजह से ये संसार है,
तू तालाब नही समंदर है,
तू तुफानो का बवंडर है,
तू मत पीछे हट,हुंकार भर,
तू दुश्मनो पर मत उपकार कर,
तू संघार कर,प्रहार कर,
तू डर मत तू वार कर,
तू दुश्मनो का संघार कर,
तू नारी शक्ति का स्वरूप दिखा,
तू आदि-शक्ति का रूप दिखा,
तू जग-जननी है,जग कल्याणी भी,
तू अपने आप में गुरुर बन,
तू दुश्मनो के लिए कुरुर बन,
तू नारी है पर कमजोर नही,
तू सुंदर है पर सुकमार नही,
तू लक्ष्मी है तो काली भी,
तू दुर्गा है तो विष की प्यालि भी,
तू रामायण की सीता है,
तू महाभारत और गीता है,
तू आजादी ले ये तेरा अधिकार है।

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