गौरेया बचाना बच्चों . . .
नन्ही गौरेया आती है,
इत उत वो निहारती है ।
चुग्गा चोंच में वो दबाती,
भोली मुस्कान वो वारती ।।
नन्हें नन्हें पर कोमल से,
उड़ान बड़ी सदा वो भरती।
ची ची करती आँगन आती,
दाना पानी भोजन करती।।
कभी मुझको टुकुर टुकुर देख,
हाथ पे आ के बैठ जाती।
मेरे आँचल में छिप जाती,
मीठी मीठी बोली भाती।।
बिल्ली देख के उड़ी जाती,
फर फर उड़ कर धूम मचाती।
मिट्टी के प्याले पर बैठी,
जरा जरा सा पानी पीती।।
मेरे आँगन में ठुमकती ,
नाच नाच मुझे रिझाती।
घोंसले दिखे चूजा चूजे ,
दिन भर ची ची करते पाती।।
कभी बिजली बरखा में दुखित,
करंट में झुलसती पाती।
हो देखभाल गौरेया की,
विलुप्त होती जाती प्रजाति ।।
गौरेया का जीवन देखो,
होती हम पर आश्रित जाती।
करो संकल्प बच्चें सारे,
गौरेया बचे सदा साथी ।।
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