धिक्कार है उन्हें जिन्हें भगवान् श्री कृष्ण जो माँ यशोदा के लाडले है उन के चरण कमलो में कोई भक्ति नहीं. मृदंग की ध्वनि धिक् तम धिक् तम करके ऐसे लोगो का धिक्कार करती है.
"Shame upon those who have no devotion to the lotus feet of Sri Krishna, the son of mother Yasoda; who have no attachment for the describing the glories of Srimati Radharani; whose ears are not eager to listen to the stories of the Lord's lila." Such is the exclamation of the mrdanga sound of dhik-tam dhik-tam dhigatam at kirtana.

बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बास पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है.
What fault of spring that the bamboo shoot has no leaves? What fault of the sun if the owl cannot see during the daytime? Is it the fault of the clouds if no raindrops fall into the mouth of the chatak bird? Who can erase what Lord Brahma has inscribed upon our foreheads at the time of birth?

एक दुष्ट के मन में सद्गुणों का उदय हो सकता है यदि वह एक भक्त से सत्संग करता है. लेकिन दुष्ट का संग करने से भक्त दूषित नहीं होता. जमीन पर जो फूल गिरता है उससे धरती सुगन्धित होती है लेकिन पुष्प को धरती की गंध नहीं लगती.
A wicked man may develop saintly qualities in the company of a devotee, but a devotee does not become impious in the company of a wicked person. The earth is scented by a flower that falls upon it, but the flower does not contact the odour of the earth.

उसका सही में कल्याण हो जाता है जिसे भक्त के दर्शन होते है. भक्त में तुरंत शुद्ध करने की क्षमता है. पवित्र क्षेत्र में तो लम्बे समय के संपर्क से शुद्धि होती है.
One indeed becomes blessed by having darshan of a devotee; for the devotee has the ability to purify immediately, whereas the sacred tirtha gives purity only after prolonged contact.


Chanakya Neeti

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