धर्म आस्था और दंड . . .

श्रृष्टि के निर्माता ने उसे
बनाया ही कुछ ऐसा था।
जिसमें सभी लोगों का
समावेश होना था।
ऊपर से चौरासी लाख
देवी देवताओं का समावेश।

और सबकी अलग अलग 
सोच और विचारधारा।
कौन कैसे और कब
प्रसन्न हो जाते है।
और खुश होकर देते
अपने भक्तों को वरदान।

फिर वरदानों को पाकर
करते पृथ्वी पर अत्याचार।
और भक्तजन फिर करते
प्रभु से बचाने की गुहार।
तभी तो रामायण महाभारत और भी...
रचना पड़ा उस निर्माता को।

जिससे बची रहे आस्था धर्म
और मानव का कर्म।
और पापीयों को मिले
उनकी करनी का दंड।
तभी सुख शांती से रह
पायेंगे पृथ्वी पर सबजन।।


Sanjay Jain

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk