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जब हम पास होते थे तो दूर जाने को कहते थे। जब दिलकी धड़कनों को दिलसे सुनना होता था। तब कही और उलझना तुम्हें पड़ जाना पड़ता था। और मिलने समझने का मौका चला जाता था। लाख चाहकर भी हम तुम मिल नहीं पाते थे। और दिलकी बातें को दिलमें रोकना पड़ता था। समय निकलता गया और हम दोनों वहाँ रुक हुए थे। हम उन्हें देखते रहे और वो हमें देखते चलते रहे। तब से लेकर आज तक दोनों खुदको ढूँढ़ते रहे। और संकोच के कारण अपनी बातें कह न सके। परंतु जमाने की नजरों में लैला-मंजु समझे जाने लगे। और मोहब्बत करने का नया अंदाज लोगों को दिखा दिया। दूर होकर भी हम और आप मोहब्बत दिलसे कर सकते है। और दिलमें उमंगो के नये दीप हम जला सकते है। और नये दौर में नई मोहब्बत दुनियाँ को दिखा सकते है। इस तरह की मोहब्बत लोगों को कम पसंद आती है। परंतु ऐसी मोहब्बत हमेशा के लिए संसार में अमर है। और श्रध्दा और आस्था से उनकी मोहब्बत पूंजी जाती है।।
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