फिर मौसम सुहाना न रहा
जब वो मिरे पास यहां न रहा
हर तरफ बेबसी का आलम है
मोहब्बत लायक ये समा न रहा!

कैसे, क्यूं रह लेते दिल में उसके
उसके दिल में मेरा आशियां न रहा!
वो हर पल प्यार जताते फिरते हैं
जहां में अब इश्क़ बेजुबां न रहा!

Anurag Maurya

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