नारी जल है ,हर पात्र में ढल जाए,
हर रंग में रंग रंगीन हो जाए।
नारी खुशबू है हवा में घुल जाए,
महकती हर चीज में समा जाए।

नारी एहसास है भाव भर जाए,
कठोर आँखों को नम कर जाए।
नारी छवि हैं हर वजूद की बनजाए
हर शख्स के भीतर रम जाए।

नारी धूप सी है सुबह शाम हो जाए,
फिजा में फैल दिन पूरा हो जाए
नारी दूध सी  हैं ,मिठाई में रच जाए
पक पक कर मावे सी महकाए।

नारी चूल्हे सी है भोजन जो पकाए
रोज जल आँच पे ठंडी पड़ जाए
नारी कुँए सी हैं दुःख गहरे भर लाए
अंध कूप बन मीठा नीर पिलाए।

नारी धरा सी हैं सदा देन से फलाए
सहन कर बोझ धैर्य सेदब जाए।
नारी देवी हैं जन्म ,अन्न ,पाल जाए
नित भोजन पका अन्नपूर्णा होए

नारी मिट्टी सी उपजाऊ बन जाए।
देह बीज पोषण से जीव बनाए।
नारी नदियां सी है कलकल  सुनाए,
जीवन प्रवाह सतत बहती जाए

नारी चाँद सी है अमृतोपम सरसाये
उजास से जीवन रोशनी फैलाएं
नारी राधा सी है प्रेम न्यौछावरकिए
घर में रुक्मणि सी समर्पण किए

नारी पावन है पतिव्रता बन जाए।
सावित्री बन सुहाग है बचाए।
नारी ब्रह्मांड सी है हर शै समाए।
असंख्य नेहतारो सी जगमगाए

नारी बस नारी ही हैं समग्रत लाए
नर को पूर्णता दे सृष्टि रचाए।
नारी प्रसविनी है जन्म दे जिलाए।
नारी भक्ति सी हैं सहज लुभाए।

नारी श्रृंगार सी है जीवन जो सजाएं
प्रेम ,दया ,करुणा  जो दिखाए।
नारी प्रकृति सी हैं जन्मे ,सरसाये।
पवित्र मीठे फल जीवन फलाये।

नारी सहगामिनी है संसार बनाएं।
नर की पूरक बन जीवन रचाए।
नारी क्षमा है ,,सहज प्रेम दे जाए,
मानव मूल्यों से जीवन भर जाए

क्या कहूं मित्रा,, क्या न नारी बनाए
सृष्टि आधार बन नर को हरषाए
नारी कविता सी हैं नव सृजन रचे।
काव्योपम देन मनुज को दे जाए

नारी गंगा है पुण्य सलिला बन जाएं
पवित्र भाव से मन भर जाएं।

Neelam Vyas

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