जाना, फ़ुर्सत तुम्हें न थी पास आने की
ज़िद हम भी कर चुके थे दूर जाने की!
हमने मस्जिदों में सजदे किए तेरे वास्ते
तुमने कोशिश ही नहीं की हमें पाने की!

किनारा तुमको समझ बैठे अपना मानके
तुम तो साजिशें रचते रहे हमें डुबाने की!
इश्क़ का रोग लगाके बीच में ही छोड़ दिया
अब कहते हो कोशिश करो हमें भुलाने की

Anurag Maurya

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