प्यास लगी थी गजब की,
मगर पानी में जहर था।
पीते तो भी मर जाते
और ना पीते तो भी मर जाते।

बस यही दो मसले
जिंदगी में कभी हल नहीं हुए।।
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए।।

वक्त ने कहा _ _ _
काश थोड़ा और सब्र होता।।
सब्र ने कहा _ _ _
काश थोड़ा और वक्त होता।।

शिकायतें तो बहुत है ए जिंदगी तुझसे
पर चुप  हूं कि जो तूने मुझको दिया है
वह भी बहुतों को नसीब नहीं होता।।

Devendra Kumar

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk