देखती रहती हूं अपनी खिड़की से ,
उन बड़े से पेड़ की उन शाखों को. . .

अपने आप में अनेक कहानियॉं लिए उन पत्तों को ,
मौसम के बदलने का अंदाज़ा. . .

बस उस पेड़ को देख के ही चल जाता है. . .

वसंत में खूबसूरत रंग के फूलों से ,
तो पतझड़ में खाली शाखों से. . .

आज कल उस पेड़ में हरियाली है . . .
हरे हरे पत्तों से शाखों भारी है. . .

ये भी बस कुछ ही दिन तक हैं ,
जल्द ही अगले मौसम की बारी है ।
#poetry #LifeStories

Sejal Bhagat

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