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मैं अब कैसे बतलाऊँ, अपने बारे में लोगो। कैसे करूँ गुण गान, अपने कामो का में। बहुत कुछ सीखने को, मिला मुझे यहाँ पर। तभी तो निकाल दिये, जीवन के 28 वर्ष।। मिला सब जीवन में जो भी चाहा था हमने। करू कैसे मैं इंकार, मिलाना नहीं अपनों का प्यार। जो किये थे पूर्व जन्म में, कुछ अच्छे कर्म हमने। तभी तो मिला है मुझको आप सभी से इतना प्यार।। अब पुन: शुरू करूँगा, नई पारी की शुरुआत। इस पारी में हमें मिलेगा, जीवनसंगनी का साथ। पूरे जीवन करती रही, वो सभी लोगो का ख्याल। अब बारी मेरी है लोगों, रखूँगा उसका में ख्याल।। उम्र के इस पड़ाव पर नहीं मिलता किसीका साथ। सभी अपने जीवन को, जीते है अपने अपने अनुसार। सही अर्थो में हमको मिला, जीने का ये अवसर। तो क्यों करे शामिल हम, किसी औरो को अब।। निभाएंगे हम दोनों अब, जो किये थे वादे एकदूजे से। सुख दुःख की हर घडी में, अब रहेंगे हम दोनों साथ।
यही संग जीने की, बहुत बड़ी सच्चाई है। इसे जितने जल्दी तुम, समझ लोगे प्यारो। हकीकत खुद व्या कर देगी, समय को आने पर।।
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