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बेटा - "मां फर्ज बड़ा होता है या रिश्ता" मां -" बेटा फर्ज बड़ा होता है" बेटा -" मां मैं अपने दुश्मन की बेटी से प्यार करता हूं" "जिसके दादा ने मेरे दादा जी को झूठे केस में फंसाकर उम्रकैद की सजा दिलाई थी" "वो लड़की मेरे बच्चे की मां बनने वाली है पिताजी और घर के अन्य सदस्य ने शादी करने से मना कर रखा है" "मगर मैं उस लड़की से सच्चा प्यार करता हूं बताओ मां मैं क्या करूं?" मां -"बेटे तुम्हारा फर्ज कहता है कि तुम अपने प्यार का त्याग कर दो तुमने दुश्मन की बेटी से प्यार कर घर की इज्ज़त के साथ खिलवाड़ किया है" बेटा -"ठीक है मां मैं अपने फर्ज के लिए उस लड़की का त्याग कर दूंगा" इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 1 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 2 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 3 अगली पीढ़ी बेटा - "फर्ज बड़ा होता है या रिश्ता" मां - "फर्ज बड़ा होता है" बेटा - "मां मेरा एक दोस्त एक लड़की से प्यार करता है और वह लड़की उसके बच्चे की मां बनने वाली है लेकिन उसके घरवाले तैयार नहीं है उस लड़के को समझ नहीं आ रहा है क्या करना चाहिए । (बेटा अपनी मां की डायरी में लिखे सारे राज को जान लेता है तभी ये सवाल मां से पूछता है। ) मां - "बेटा जब उसने प्यार किया तो मां बाप से नहीं पूछा था । बाप बनते वक्त भी नहीं पूछा । प्यार का त्याग हम तभी कर सकते हैं जब हमने प्यार की मर्यादा रेखा का पालन किया हो" "अगर हमने मर्यादा रेखा को पार किया तो हमारा फर्ज है कि उस लड़की के साथ अपने रिश्ते को एक नया आयाम दें" "और सबसे बड़ी बात वह लड़का एक बच्चे का बाप भी बनने वाला है इसलिए उसे हरहाल में अपना फर्ज निभाना चाहिए" "उसे कोई हक नहीं नन्ही सी जान के साथ खिलवाड़ करने का"
बेटा - "मां आप ही मेरा फर्ज और मेरा सबकुछ हो" " मैं आपके लिए हर चीज त्याग दूंगा" मां -"बेटा मेरे लिए हर चीज का त्याग करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखना कि फर्ज से तुम कभी भी विमुख न हो" बेटा - " मां जिस खानदान के लोगों ने आपका परित्याग किया उसी खानदान के वारिस की साली से मैं प्यार करता हूं और वो मेरे बच्चे की मां बनने वाली है । मैं क्या करूं मां? मां - बेटा ये मेरी परवरिश की परीक्षा है बेटे । मैं तुझे कोई राय नहीं दूंगी । क्योंकि मुझे अपनी कोख पर यकीन है कि वह अपने फर्ज को जरूर निभाएगा । अब तुम खुद ही सही गलत का अंतर करो बेटे कि एक मां अपने बेटे की परीक्षा ले रही है उसने जितनी कठिनाई से उसका लालन-पालन किया है उसमें वह कितनी खड़ी उतरी है ।
बेटा - "ठीक है मां मैं अपने फर्ज का ही पालन करूंगा" कुछ दिनों बाद बेटा -"मां देख किसे लाया हूं " मां घर से निकलकर बाहर आती है फिर घर के अंदर चली जाती है और दो मिनट में वापस आती है हाथ में आरती की थाल लेकर । मां (मुस्कुराते हुए)- "बेटे बहू की आरती उतारकर दोनों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है । बेटे आज मुझे अपनी कोख पर गर्व है कि मेरे बेटे ने अपना फर्ज निभाया है । बेटा -" हां मां मुझे पता है मेरी मां कोई साधारण मां नहीं वह एक देवी है । जिस खानदान ने आपको बहू मानने से इंकार किया और मुझे बेटा मानने से । मगर फिर भी आपने पिताजी से अपने बेटे के हक के लिए हाथ नहीं फैलाया । बल्कि मुझे जन्म दिया मेरा लालन-पालन किया और सही परवरिश किया । जिस खानदान ने आपको अपमानित किया उसी खानदान वालों के मान को आपने सम्मानित किया ।बदले की कोई भावना नहीं है आपके अंदर । मुझे गर्व है आपपर मां मां -"बेटा जो नारी का सम्मान नहीं कर सकता समझो उसने अपनी मां के अस्तित्व का अपमान किया है । इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 1 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 2 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 3 बेटा मैंने एक नारी के मान को सर्वोपरि जाना । अगर तुमने उस लड़की का त्याग किया होता तो फिर मैं भी तुझे हमेशा-हमेशा के लिए त्याग देती । लेकिन मुझे अपनी परवरिश पर भरोसा था । "जिंदगी ऐसी जीनी चाहिए जिससे कि हम समाज को एक प्रेरणा दे सके । किसी को तकलीफ देकर रूलाकर जीना नहीं है । मुझे एक ऐसे बेटे को जन्म देना था जो इस समाज के लिए मसीहा बने । और मुझे विश्वास है कि मेरा बेटा ऐसा बनेगा । तुमने पहली परीक्षा पास की है उम्मीद है कि अब हर परीक्षा पास करोगे । बेटा -"हां मां आपका स्नेह हमेशा मुझे सही राह दिखाएगा " दुनिया की प्रत्येक मां अगर अपनी संतान की सही परवरिश करे तो समाज में बलात्कार और नारी शोषण की घटनाओं पर विराम लग जाएगा ।
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