हँसी . . .

हँसी है एक ऐसा धन
जिसका हो नहीं सकता वर्णन
हँसी में है एक ताक़त जैसी
तन में ज़ो भर दे स्फूर्ति
हँसी है जैसे निर्मल पानी
हँसी से शुद्ध  हो जाए वाणी
\
हँसी है जैसे एक फूल
दूर कर देता सबकी भूल
हँसी है जैसे बहती हवा
करती है दूर दुख क़ी घटा
हँसी है जैसे  ठंडी छाया

हँसने वाला सबको भाया
हँसी है जैसे आशिर्वाद हँसने
वाला पाये जैसे सबसे दाद
हँसी है ईश्वरक़ी सौग़ात
बचाती है चाहे गहरा आघात

हँसी है जैसे एक योग
हँसकर दूर करो सब रोग
हँसी है जैसे एक आग
जलादे मन के सारे दाग
हँसी है जैसे एक मरहम

भर देती है सारे ग़म
हँसी है जैसे  एक दोस्त
मस्ती में करदे ये मदहोश
हँसी है जैसे तरवर कि छाया
हँस कर भूल जाते सब माया

हँसी है जैसे चंदन वन
शीतल कर दे तन ओर मन
हँसी है जैसे  कोई गुरू
हँस के ख़ुशी का बड़ता सुरूर
हँसी है जैसे पिता का रूप

सुंदर कर देता रूप करुप
हँसी है जैसे जादू क़ी छड़ी
हंसते रहो चाहे दुख क़ी हो घड़ी
हँसी है चेहरे क़ी पहचान
हँसने वाला कहलाये महान

Rekha Jha

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk