हे अस्ताचल वर्ष की अंतिम भोर
मौन गुजरना ना मचाना शोर

कहर से तेरे थर्रा गया है जहान
ना गर्जना अब ना बरसना घोर

आगत वर्षअभिनंदन को आतुर
खंडित हृदय उठे नवल हिलोर

आस में नववर्ष की टकटकाते
घायल जिजीविषा नैनन में लोर

आत्मसमर्पण को है मनोबल मनोदशा Ho
विह्लल विलोचन कुंठित भ्रमित दशा

करजोड़ निवेदन करत मनुज जीवधारी
ऐसन अब्द न लाना ओ घट- घटधारी 

Geeta Kumari

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