संस्कार . . .

केसा है यह संसार
केसे पायें एसका आधार
उतार ना सकेंगे हम कभी
एस संसार का उपकार

जिसमें जन्म ले पाया हमने
जीवन जीने का संस्कार
माता पिता है पहले गुरू
सीखाया हमें आचार व्यहवार

लोभ ना लालच जिनमे बिल्कुल
करना है उनका सत्कार
धन्य है माता पिता हमारे
हमें दिया नेतिकता का संस्कार

विदालय है एक मंदिर जेसा
गुरू हमारे ईश्वर जेसे
हमें दिया विद्या बुद्धी का दान
स्वप्न में भी एनका हमें

कभी नहीं करना है अपमान
हमें दिया शिक्षा का संस्कार
मित्र व सहपाठी भी है महान
दोस्ती में ना दीखाते अपनी शान

एसका रखना सदा ही मान
रखना विश्वास ओर सदा प्यार
ये दो है दोस्ती के ओंजार
हमें दिया जिसने मित्रता का संस्कार

Rekha Jha

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