जयशंकर प्रसाद ,,आदर्श हमारे

महान साहित्यिक पटल के ध्रुव तारे,,
जयशंकर प्रसाद जी प्रेरक आदर्श पुरुष हमारे।

इतिहास ,धर्म,संस्कृति देश भक्ति पूर्ण ग्रन्थ रचे।
उपन्यास, एकांकीनाटक,कविता उच्चतम लिखे।

कामायनी जैसा उत्तम महा काव्य रचा।
नारी तुम केवल श्रद्धा हो,,ये प्रसिद्ध कथन रचा।

मुद्रा राक्षस,,कंकाल ,तितली,इरावती ग्रन्थ रचे।
ज्ञान ,धर्म,संस्कृति,भारतीय प्राकृतिक सुंदरता रची।

अनेकों इनाम ,सम्मान भी अर्जित किये।
बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व हुए।

शाली होत्र ज्ञान,मल्ल विद्या ,हीरो रत्नों के ज्ञानी हुए।
सूँघनी साहू वैश्य हलवाई ,पाक कला कुशल हुए।

गद्य पद्य गायन में वे कुशल ,काशी के दुकानदार हुए।
प्रेमचन्दजी, अज्ञेय,निराला के समकक्ष हुए।

वेदों उपनिषदों ,पुराणों के विद्वान कवि महान हुए।
काव्य जगत के पुरोधा महान देदीप्यमान नक्षत्र हुए।

मेरे आदर्श महाप्रबंधक, महाकवि ,महापुरुष हुए।
साहित्य क्षेत्र के अभूतपूर्व महान साहित्यकार हुए।

मुझे उनकी काव्य प्रतिभा अति मन भाए।
मुझमें प्रभु प्रसादजी जैसी उत्तम काव्य प्रतिभा भरे।
Neelam Vyas

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk