लेके रोशनी मेरी
    वह कहती है तू आगे बढ़
एक आग जल रही है।


    जो कहती है तू आगे बढ़
भूल जा दर्द को तू
     भूल जा प्यास को तू
भूल जा सारे जहाँ को 


     सारे दर्द और उल्लास को तू
मंजिल को पाने को
      ख्वाहिशों में आग भर
उस मुकाम की ओर जाने के


      रास्ते में आग भर 

ना रोक पायेगा तुझे कोई
      ना टोक जायेगा तुझे कोई
कर यकीन खुद पर तू 


      और आगे बढ़ तू आगे बढ़
मैं जितने की चाहत और
      हिम्मत तुझे देती हूँ।


मैं हर सुबह लड़ने की
      एक आहट तुझे देती हूँ।


मैं साथ हूँ तेरे हर मोड़
       पर साया बनकर
कर यकीन खुद पर
       और आगे बढ़ तू आगे बढ़
ले के रोशनी तू मेरी 


       वह कहती है तू आगे बढ़
है घनघोर अंधेरा
       तो भी क्या गम है।


जो रोशनी है तेरे हाथों में
       वह भी क्या कम है
इस रोशनी से अंधेरों को 


       मिटाते हुए तू आगे बढ़
ले के रोशनी मेरी तू
       वह कहती है तू आगे बढ़
तू आगे बढ़।।

Shanti Puri

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