कुछ लम्हे आज दिल में कैद करना चाहता हूं,
ए बारिश के मौसम तुझे में मिलना चाहता हूं,
थोड़ा दर्द बारिश की बूंद से गुनगुनाना चाहता हूं,
और वक्त को थोड़ा मेरे पास 
और खींचना चाहता हूं,

ये पंखी भी आज फिर से उड़ने के लिए सज्ज हो उठे है,
ए बारिश के मौसम सब तेरे इंतजार में ही खड़े हो उठे है,
बारिश के इस मौसम के मेले में दिल भी कितने मिलते है,
जैसे एक ही जगह प्यार के रंग नए नए खिलते है,

वो पल भी सब देख रहे तेरे आने की इस धरा पे,
ए बारिश के मौसम तू बरसाए जल इस मन पे,

कितना सुकून मिला जब तुझे दिल पे सजाया,
ए बारिश के मौसम तूने सब घाव भर दिया,

देख के सब लोग और प्रकृति महक जाए ,
ए बारिश के मौसम दिल तुझ पे अटक जाए,

ये मिट्टी भी आज फिर से थोड़ी सुवास देती है,
लगता आज तेरे रहने के आवास बनाती है,
मयूर भी आज पंख फैलाके नृत्य करने लगे है,
लगता आज बूंद बूंद बारिश के मौसम उमड़ रहे है,

आज इस पल कवि कल्पना इतनी कर बैठे है,
दिल की स्याही जैसी उनकी आत्मा बन बैठी है,
कुछ भी ना सही पर जो लिखे शब्द वो रंग फैलाने लगते है,
प्यार की नाव आज फिर से एक दूसरे के संग चलाने लगते है,

आज तो बादल भी मेरे बारे में सोच के बैठे है,
बारिश का मौसम में तुझे यहां भेज रहे है,
आज ये सूखी सड़के भी तुझे 
बुला रही है,
ए बारिश के मौसम दिल अब
 तू चुरा रही है,

ये जल ही सबका जीवन और तेरी मौसम में  यौवन लगता है,
ए बारिश के मौसम तेरे आने से आबल वुद्ध सब का तन मन खिलता है,

ये पतझड़ पन्ने भी डाली से अलग हुए आज फिर से याद कर रहे है,
मेरा नया फूल इस बारिश के मौसम से तुझे फिर से मिलने साद कर रहे है।

Ankitrpatel211
@brieflook_thoughts


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