मनुष्य जीवन एक वरदान है ा अपने कर्तव्यों का पालन करना और सुख को चारों और फैलाना ही मनुष्य का धर्म है हमारे समाज में अनेक कुप्रथाओ और गलत धारणाओं ने जड़ पकड़ रखी है जो हमारे समाज को विकास के पथ से विचलित कर रही है ा जिस प्रकार किसी मकान की नीव कच्ची होने पर वह ढह जाता है और किसी पेड़ की जड़े खोखली होने पर वह ज्यादा दिन खड़ा नहीं रह पाता उसी प्रकार समाज में अनुचित प्रथाओ और धारणाओं के होने पर कोई देश भी विकसित नहीं हो पाता ा                    


प्राचीन समय में लड़की विवाह के बाद अपने मायके से अपनी जरूरतों का सामान अपने साथ ले जाती थी ा लेकिन आजकल इस प्रथा ने अनुचित रूप ले लिया है ा विवाह के समय लड़की के परिवार की तरफ से लड़के के परिवार में जो कुछ भी सामान दिया जाता है उसे दहेज कहते हैं ा लोगों ने इसे अपनी जरूरतें पूरी करने का साधन बना लिया है ा लड़का कितना भी सक्षम परिवार से हो अथवा गरीब परिवार से हो दहेज की मांग हर जगह की जाती है ा अगर किसी लड़की में कोई कमी हो तो उससे विवाह के बदले उसके परिवार से दहेज के रूप में उसका सौदा किया जाता है ा                   


दहेज प्रथा हमारे समाज को अंधकार में ले जा रही है ा लोगो की सोच और धारणाओं को इसने जकड़ रखा है ा जो इस प्रथा से बाहरी सुख का अनुभव करते हैं ा खुद को समाज में ऊंचा दिखाने के लिए लोग इस तरह की प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं ा इस प्रथा के प्रचलित होने से लोग अपने घरों में केवल लड़कों के जन्म की ही कामना करते हैं ा लड़की के जन्म के बाद से ही उसके माता-पिता को उसके विवाह की चिंता होने लग जाती है ा लड़कियां खुद को अपने माता-पिता पर बोझ समझने लगती है; और इसी विचार के साथ ही वह बड़ी होती हैंा वह खुद को समाज की बेड़ियों में जकड़ कर वही करती है जो कि समाज में होता आया है ा


वह अपनी इच्छा और आकांक्षाओ को कोई महत्व नहीं दे पाती और विवाह योग्य होने पर उसका विवाह कर दिया जाता है ा विवाह में आशीर्वाद के आवरण में दहेज रूपी प्रथाओं को निभाया जाता है ा दहेज से ही उस परिवार के स्तर को मापा जाता है ा लड़की के माता-पिता को लगता है कि जितना दहेज वह देंगे उतना ही उनकी लड़की सुखी रहेगी क्योंकि दहेज के मान से ही लड़के के घर में उस को सम्मान दिया जाता है ा इन्हीं सब कारणों की वजह से लड़की के माता-पिता ऋणी होकर भी इस प्रथा को निभाते हैं ा     


दहेज प्रथा से लड़कियों की तुलना उसके द्वारा लाए गए सामान से की जाती है जो लड़की जितना ज्यादा दहेज लाती है उसे उतना ही आदर सम्मान दिया जाता है ा लड़के और उसके परिवार के लिए यह एक अवसर होता है जिसमें वह दहेज रूपी धन प्राप्त करते हैं ा वह लड़की के परिवार पर अपना दबाव बनाए रखते हैं और लड़की का परिवार समाज के डर से उनकी इच्छाओं की पूर्ति करता है ा अगर वह ऐसा नहीं करते तो तो उन्हें लड़की के ससुराल वालों के ताने और आलोचनाओं को सहना पड़ता है ा                   


ऐसी प्रथाओं से लड़कियों की दुर्गति हो जाती है उन्हें अपने परिवार से धन मांगने के लिए विवश कर दिया जाता है ा अगर वह ऐसा ना करें तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है ा उन्हें डरा कर चुप रहने पर विवश कर दिया जाता है ा उस समय वह यह महसूस करती है कि काश वह सफल होती और उसे अपने सपने पूरे करने का मौका मिलता तो उसका जीवन सुखद होता ा लोगों की यह गलत धारणा होती है कि लड़कियों का अपना कोई घर नहीं होता; उन्हें आगे बढ़कर कुछ करने का मौका नहीं देकर पहले उन्हें अपने माता-पिता पर और बाद में अपने पति पर निर्भर कर दिया जाता है ा और इससे उनके सपने और इच्छाएं अधूरी रह जाती है ा इन्हीं सब कारणों से लड़कियों या उसके परिवार वालों को अनेक कष्ट सहने पड़ते हैं ा                     


दहेज प्रथा एक अभिशाप है जिससे किसी को भी सुख प्राप्त नहीं हो सकता ा जहां कन्याओं को देवी समझा जाता है वहीं उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है इससे देश का दुर्भाग्य है ा इसलिए ना दहेज लेना चाहिए और ना ही देना चाहिए ा लोगों को शिक्षा देकर और उनमें जागरूकता फैलाकर ऐसी प्रथाओं को जड़ से खत्म करना है ा बहुओ को बेटी मानकर अगर उन्हें सुख दिया जाएगा तभी इस समाज की प्रगति हो सकती है ा लोगों की सोच बदलेगी तभी देश की सहीच दिशा में उन्नति होगी ा इसलिए खुद भी सक्षम होना है और दूसरों को भी प्रेरित करना है और समाज की बुराइयों पर विजय पाना है ा

Ekta Yadav

24 टिप्‍पणियां:

  1. Agreeable thoughts about the bitter truth of our community ., A social stigma that is silently claiming the lives of innocent married women ��.,

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