*इश्क मोहब्बत में नैनों से ही दिल-ए-हाल जान लिया जाता है,
*केवल पलक झपक कर ही प्रेमी की जान लिया जाता है।

 *इश्क़-ए-मर्ज़ में सब जायज़ होता है जनाब,
*तभी तो तन्हाई में तकिये को ही प्रेमी मान लिया जाता है।

*बडे तशव्वुर से भरा रहता है ये इश्क़,
*इसमें पल में ही चांद को फांद लिया जाता है।

*शब्दों का कुछ काम ही नहीं होता है इसमें,
*केवल आंखों से ही काम लिया जाता है।

*इक बार हो जाये जिसको ये,
 *उसकी खुशबू से उसे पहचान लिया जाता है।
 
*इश्क मोहब्बत में नैनों.....
*केवल आंख मारकर ही.....

Anurag Maurya

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