सूरज की एक किरण तिमिर मे खो गयी,
कल भारत माँ की एक होनहार बेटी सो गयी।
पढ़े - कपड़े से दुपट्टा गुमनाम हो गया . . .
नाम 'सुषमा' था और 'स्वराज' उसका स्वप्न,
वो छवि अपने कौशल की दिलों मे बो गयी।
वाणी में उसकी ओज था बुद्धी भी तीक्ष्ण थी,
उसके प्रयाण पर आज हर आँख रो गयी।
पढ़े - कपड़े से दुपट्टा गुमनाम हो गया . . .
एक स्त्री के लिए कई काम कठिन होतें है,
वो मुश्किलों की हर इबारत ही धो गयी।
सीमा पार का शत्रु भी उसकी धमक से डरता था,
वो सादगी और तेवरों को एक धागे में पिरो गयी। 
आदरणीय सुषमा स्वराज जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजली। 
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Hema Singh

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