देकर गहरे ज़ख़्म उनको तुम कैसे हँस सकते हो ? 
करके रुस्वा उन ग़रीबों को तुम कैसे खुश रह सकते हो ? 
लूटकर अस्मत बेटियों की,जलाकर घर ख्वाहिशों के  उनके ।
तुम कैसे अपने घरों में सुकूं से सो सकते हो ? 
मरना तो तुम्हें था ही आज नहीं तो कल।
लगी है हाय जो उनकी, तो  फिर कैसे तुम सुकूं से जी सकते हो ?

Hardik Gandhi

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