कभी कुछ बतलाते नहीं तुम्हे,
पर आज भी अंधेरे से डरते है ।
यूँ तो कुछ दिखलाता नहीं,
पर आज भी तेरी परवाह करते है
तुझे सब है पता कितना प्यार है,
पर आज भी कुछ तुम देखते नही।
भीड़ में यूँ तुम अकेले छोड़ आए,
की घर लौट के भी आ ना पाए ।
इतना दूर हमे तुमसे छोड़ आए,
याद भी तुझको आ ना पाए।
क्या इतने बुरे है हम ?
प्यार से सीधा दुश्मनी कर बैठ तुम।
आज भी मेरी नज़र सिर्फ ढूँढे तुझे,
सोचूं यही तू आ के हाथमें थामे मुझे।
तुमसे हम, ये कहते कुछ नहीं ,
पर हम सहम सब जाते है।
चेहरे पे, आने देते नहीं,
दिल ही दिल में घबरा जाते है ।
कभी कुछ बतलाते नहीं तुम्हे,
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