दोपहर के नींद के बाद मैं भकुआया हुआ अधखुले आँखों से बिस्तर पर लेटे-लेटे ही मोबाइल हाथ में लिए व्हाट्स-एप्प, फेसबुक, ट्यूटर इत्यादि-इत्यादि का नोटिफ़िकेशन देख ही रहा था कि यकायक आदित्य की तेज़ गरम आवाज़ कानों के खिड़की से हुलकी मारने लगा| मैं अकचकाते हुए फुर्र-फुर्रा कर बिस्तर को ऐसे त्यागते हुए दौड़ा जैसे अभी-अभी प्रियांका चोपड़ा, निक जोनस को डायवोर्स दे आयी हो|


मियाँ मजनू बने फोन पर बतियाने में लगे हुए थे| हम डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझे| बस कानों के दरवज़्ज़े पर लगे मोम के फाटक को अँगुली घुसा कर खोलने में लग गये| चुटकी भर मोम निकाल, कमर पर बँधे गमछा में रगड़ कर पोंछ लिए और ध्यान लगा कर वार्तालाप सुनने की कोशिश करने लगे| ज्यादा कुछ मैं सुन नहीं सका| किंतु अनुमान लगा लिया ज़रूर यह भी इश्क़-मुस्क का चक्कर होगा| आदित्य ज़ोर-ज़ोर से किसी को फटकारने में लगा हुआ था| प्रतीत होता था कोई स्त्रीलिंग ही है| मैं वहाँ से तत्काल अपने रूम में आ गया| अपने फोन के साथ पुनः फेसबुक-फेसबुक खेलने के लिए|

तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 1   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 3   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

अचानक मेरे दिमाग में कौंधा कुछ गहरी बातें हुई है आदित्य के साथ अभी-अभी| शायद मुझे कुछ मसाला मिल जाए किस्सा-कहानी लिखने के लिए| मैं फोन वार्तालाप खत्म होने का इंतज़ार करने लगा|

अक्सर लड़का कहा करता था -"भैया! आप तो लेखक है| एक कहानी मुझ पर भी लिखिए"| मैं यह कह कर टाल दिया करता था कि -"भाई पहले अपने बारे में सच्ची-सच्ची बताओ तभी तो कुछ लिख पाऊँगा आप पर कोई कथा-कहानी"| आज वार्तालाप सुन कर लगा जैसे कोई कहानी मिल गई मुझे| अन्यथा वह अक्सर ही झेंप लिया करता था अपने बारे में कुछ भी बताने के नाम पर|

मैं इक्साइटेड होता रहा खुद में ही| और कल्पनाओं का परवाज़ भरने में लगा रहा|

थोड़ी देर बाद जब एहसास हुआ कि अब वार्तालाप पर विराम लग चुका है तो मैं आदित्य के दिली हाल को कुरेदने पहुँच गया उसके रूम में| थोड़ी देर वह ख़ुद-ब-ख़ुद हँसता रहा| फिर बताने को राजी हुआ| शक़्ल-सूरत से मासूम दिखने वाला लड़का इतना शातिर भी हो सकता है मुझे तनिक भी अनुमान नहीं था| मेरी माँ तो कहा करती थी -"जब यह लड़का हमारे रूम में रेंट पर आया था तो किसी से बोलना तो दूर की बात रही, नज़र उठा कर भी नहीं देखता था बिल्डिंग के किसी भी कोने के तरफ़"| मैं अचंभित था लड़के के कथनी और करनी को सुन कर| क्या ऐसा भी हो सकता है?

तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 1   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 3   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

वैसे वह अक्सर कहा करता था कि उसका दिमाग क्राइम पेट्रोल और सावधान इंडिया देख-देख कर शातिर होता जा रहा है| मैंने भी कई बार उसे इन सीरियलों को देखते हुए भी देखा था| मैं तो कह भी दिया करता था -"ज्यादा इन सीरियलों में दिमाग मत खपाया करो| अन्यथा मस्तिष्क पर ज़ोर पड़ेगा| दिमाग खराब करके रख देते हैं ये टीवी चैनल वाले"| पर उसे कुछ फ़र्क नहीं पड़ता| मैं भी कई बार उसके संग बैठक लगा लिया करता था सीरियल देखने के लिए, उसके साथ ही|

काफी मसक्कत के बाद आदित्य अपनी लव-स्टोरी सुनाना चालू किया|

उसकी प्रेमिका का नाम अनोखी श्राप है| अनोखी के पापा की सोने-चाँदी का कारोबार है| वह सुनार है जाति की|

मेरा इक्साइटमेंट बढ़ने लगा| कारण कि आदित्य ठहरा राजपूत कुल-खानदान से| और प्रेमिका सुनार| कैसे हुआ होगा मिलन? मुझे रोमांचक प्रतीक हुआ| मैंने आगे की कहानी ज़ारी रखने को कहा| तभी पड़ोसी के दीवार के पार से पप्पुआ के चिल्लाने की आवाज आई|

- "बेल्ट्रॉन .....! रे .....! बेल्ट्रॉन"|

आदित्य चिहुँकते हुए मुझे रूम में अकेला छोड़ कर दौड़ता हुआ बाऊंड्री के पास जा पहुँचा| पप्पुआ से बतियाने|

तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 1   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 3   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

मैं मन-ही-मन पप्पुआ को कोसने लगा - "इस बेहुद्दा को भी अभी फ़ुर्सत मिली| बतियाने के लिए"|

दो‌नों आपस में कुछ फुसफुसाते हुए बतिया लेता और ज़ोर-ज़ोर से ठहाका मार हँसने लगता| बतियाने का शब्द मेरे समझ में नहीं आ रहा था दूरी होने के कारण| लेकिन ठहाके की गूँज कान का पर्दा फाड़ देती| मैं आदित्य के आने का इंतज़ार करता हुआ उसी के रूम में बैठा खींझता रहा| > तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2

Rajan Singh

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