पंचायत बैठती है लखिया से पूछा जाता है वह कौन है जिसके पेट में तेरा बच्चा पल रहा है ।


लखिया केवल रोती रहती है कुछ न बताती ।


जो गांव वाले कल तक प्यार लुटाते थे वही आज लखिया को देखकर घृणा करते । जमुना काकी तानें और उलाहनें से तंग आ गयी ।


जमुना काकी ने फैसला किया गांव छोड़ देगी ।

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मंझली काकी ने बच्चा गिराने वाला दवाई लाकर दिया लखिया को खाने पर, लखिया बोली - "नहीं खाऊंगी ,


जो मेरे पेट में है अबोध बच्चा है उसे कैसे मार दूं नहीं मार सकती ।"


जमुना काकी आज सामान समेट ली कि तभी ठकुराईन छोटे ठाकुर के साथ आयी ।


लखिया के हाथ अपने सर पर रखकर कसम दे दी "बता लखिया तू बेटी है मेरी क्या हुआ था ?"


फिर लखिया ने दीवाली की रात की घटना बता दी।


छोटे ठाकुर ने लखिया को हिम्मत दी "कहीं मत जाना लखिया मैं तेरे साथ हूं । कल तुझे अपने साथ शहर लेकर जाऊंगा ।"

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तैयार रहना । लखिया ठकुराईन के गले लगकर रो पड़ती है .... ठकुराईन भी रो देती है। "हे भगवान् इस बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा ।"


अगले ही दिन छोटे ठाकुर कोर्ट में जाकर लखिया से कहते -"लखिया हमसे शादी करोगी तेरी इज्ज़त लुटी है किसी ने , कोई तुझे नहीं अपनाएगा, मगर मैं एक भोली-भाली निर्दोष लड़की को आग में झुलसते नहीं देख सकता ।"


लखिया "मैं आपसे शादी करूंगी ठाकुर साहब मगर मेरी एक शर्त है मेरा बच्चा गिराना मत ।"


"ठीक है लखिया इसमें बच्चे का क्या दोष ।"


फिर छोटे ठाकुर शादी करके लखिया को हवेली लाते ।पूरा गांव दांत तले ऊँगली दबा लेता ।ठाकुर साहब गुस्से से लाल पीले हो जाते छोटे ठाकुर को बेटा मानने से इंकार कर देते । मगर ठकुराईन खुश हो जाती लखिया को फार्म हाउस पर ले जाती ।


वही लखिया ठकुराईन के साथ रहती ।

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छोटे ठाकुर लखिया से पूछते बताओ तो कुछ निशानी उस कमीने का , ताकि उसे सजा दे सकूं......


तब लखिया कहती है -"ठाकुर साहब के हाथ पर जो मस्सा है वही मस्सा था।" सुनकर छोटे ठाकुर हैरान हो जाते । दीवाली की रात याद किए तो पता चला ठाकुर साहब एक घंटे के लिए घर से बाहर गए थे नौकर ने उसे फार्म हाउस से बाहर जाते देखा था । फार्म हाउस से ही लखिया के घर की तरफ जाने की एक ही गली थी । अब तो छोटे ठाकुर को अपने बाप से नफरत हो जाती ।


छोटे ठाकुर खुद एक वकील थे सुबह जाते शहर और शाम को लौट जाते । छोटे ठाकुर ने बाप के खिलाफ केस कर दिया उनका गुनाह साबित हो गया । छोटे ठाकुर ने खुद केस लड़ी था । ठकुराईन को अपने बेटे पर गर्व था जिसने मुजरिम को सजा दिलाई और एक अनाथ का सहारा बना ।

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ठाकुर साहब को जेल हो गई ।


गांव वालों को हकीकत पता चला तो लखिया के वास्ते प्यार उमड़ पड़ा ।


लखिया छोटे ठाकुर जैसे पति को पाकर अपना गम भूल गयी और खुश रहने लगी ।


क्योंकि छोटे ठाकुर ने उसे पढ़ने की इजाजत दे दी लखिया के सपने खिल उठे ।जमुना काकी भी अब रोना भूल गयी थी ।

Radha Yshi

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