थोड़ी देर गुमसुम रहने के बाद खामोशी तोड़ते हुए बोले - "जानते हैं चच्चा सगुन क्या कहती थी? वह कहती थी नेक इंसान और वीर शहीद जवान का खून पाँव का महावर नहीं बल्कि सिर का सिंदूर बनता है| कितना सही कहती थी न| लगता है उसके नसीब में भी यही लिखा है"|
"या ...अल्लाह! ऐसी नापाक बातें लब़ पर मत लाओ बेटा जी| खुदा सब देख रहा है| जहन्नुम भी नसीब न हो उन आतंकवादियों को और पाकिस्तान के फ़िरकाप्रस्त सल्तनत को, जिसके कारण आपके ज़ेहन में यह ख़्याल आये"| - पानी में रम मिलाते हुए सूबेदार साहब बोले|
सूबेदार दानिश वजाहत तत्काल टेकरी छोड़ जाना चाहते थे लेकिन मेजर मोहित सूर्यवंशी का उखड़ा हुआ मूड देख, वहीं रूके रहे| यह सोच कर कि थोड़ी देर उनसे इधर-उधर की बातें कर लिया जाए ताकि उनका दिल बहल जाएगा| उच्च पद पर होने से क्या होता है आखिर है तो बच्चा ही|
सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 1   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 2   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 3   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 4   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 5
- "साहब, दुल्हन बेगम बहुत खूबसूरत है क्या"?
- "पता नहीं चच्चा सुंदर है कि नहीं ......! पर बातें बड़ी प्यारी-प्यारी करती है| माँ और सब रिश्तेदार कहते है सगुन बहुत खूबसूरत है पर मुझे तो उसकी बातें ही लुभाती है"|
- "आपकी लव मैरिज है क्या साहब"?
- "ना ...ना! चच्चा| मैंने तो सगुन को सगाई के दिन ही पहली बार देखा था| उसके बाद दो-चार मुलाकातें भी हुई| पिछली छुट्टी में माँ के फ़ैसला के आगे माथा टेकना पड़ा था| उनकी ज़िद थी कि मैं अब शादी कर लूँ| पर सगुन से मिलने के बाद लगा माँ का फैसला सही ही था"|
- "माता-पिता का निर्णय हमेशा ही अपने बच्चों के हित में ही होता है साहब| ज़रूर हमारी दुल्हन बेगम खास होगी, तभी माता जी फैसला ली होगी"|
सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 1   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 2   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 3   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 4   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 5
- "खास तो है चच्चा, मेरी सगुन| उसकी बातें, उसकी अदाएं, उसका सौंदर्य सब कुछ ही खास है| मानों ईश्वर ने फ़ुर्सत में सगुन को रचा है| तभी तो तन से नाज़ुक होते हुए भी मन से हमेशा वीरों जैसा बातें करती है| जानते हैं चच्चा सगुन को 'सिलसिले मुलाकातों का न छोड़िएगा' गीत बहुत पसंद है| जब भी हम मिले है तो वह ये वाला गीत जरूर सुनाती थी मुझे| अब तो मुझे भी यह गीत प्रिय लगने लगी है| कितना कशिश है न इस गीत में"|
थोड़ी देर रुक कर मेजर साहब पुनः बताना शुरू किए - "उसमें सभी गुण है जो एक संपूर्ण नारी में होनी चाहिए| फिर भी उसने मुझे ही स्वीकारा यह मेरे लिए बड़ी बात है| जबकि उससे शादी लिए तो कोई भी लड़का तैयार मिल जाता| वह केमेस्ट्री से पी.एच.डी. कर रही है फिर भी गुरूर लैश मात्र नहीं उसमें| जानते है चच्चा सगुन क्या कहती है? वह कहती है कि 'एक फौजी की सुहागन हो या विधवा' उसी के आँचल को अपने दामन से लपेटना पसंद करती भारत माता तिरंगा के रुप में........."!
सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 5

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