कर्नल साहब की बातें सुनकर मेजर मोहित सूर्यवंशी सीनें में 14000 वोल्ट का करेंट दौड़ने लगा| दिल तो किया कि बिना किसी वार्तालाप और बिना किसी दोयम समझौते को माने सीधे पाकिस्तान पर धावा बोल पूरे मुल्क को नेस्तेनाबूत कर खाक में मिला दे| पर फर्ज और संविधान की मर्यादा के मद्दे-नज़र मन मसोस कर रह गये मेजर साहब|
कर्नल साहब का फोन बजते ही; मेजर साहब को विदाई दे दी गयी| कर्नल साहब फोन पर बतियाने चले गये| शायद दिल्ली से फोन था|
कर्नल साहब के खेमे से जो जवान जोश में निकला था| अपनी टेकरी तक आते-आते उनके चेहरे पर शिकन देखा जा सकता था|
पाँव पटकते अपनी टेकरी पर आकर मेजर साहब अस्त-व्यस्त अवस्था में बैठ गये| उनके चेहरे पर उदासी की हल्की सी तुहिन रेखा स्पष्ट नज़र आ रही थी| जिसे भरसक मेजर साहब अपनी मोहक मुस्कान से ढ़ाँपने की कोशिश में लगे थे| पर सूबेदार दानिश वजाहत के अनुभवी नज़रों से छिपा नहीं सके मेजर साहब|
सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 1   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 2   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 3   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 4   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 5
- "किस वाकया के मालूमात के लिए कर्नल साहब का बुलाहट था साहब? मामला नाजुक है क्या"?
- "अमाँ! चच्चा आप तो तहकीकात करने लगे"|
चच्चा शब्द कानों में पड़ते ही सूबेदार दानिश वजाहत का दिल तड़प उठा| इस सुनसान बियावान में रिश्तों का मायने-मतलब भूलने कगार पर जाने कितने ही फौजियों को कुछेक अल्फ़ाज से ही जिंदगी रोमांचित हो उठता| अपने और अपनापन का एहसास आते ही| आँखों के कोर पर पानी डबडबाने लगा सूबेदार साहब का| हिम्मत बटोर कर उन्होंने पूछा - "बेटा जी, आपकी छुट्टी रिजेक्ट कर दी गयी न? कीड़े पड़े उन काफिरों को जिनके कारण हमारे वतन का अमन-चैन सब छीनता जा रहा है| अल्लाह ऐसे फ़िरकापरस्त ज़िहादियों को इस सुंदर वतन में पैदाइश पर पाबंदी लगाए| जो हमारे मुल्क पर बुड़ी नज़र गराये बैठा है"| सूबेदार साहब के आवाज में विक्षोभ स्पष्ट झलक रहा था| थोड़ा रुक कर पुनः बोले - " .....साहब अगले महीने तो आपकी शादी का दिन मुक्करर हुआ है| फिर क्या ....."? बोलते-बोलते रुक गये सूबेदार साहब|
सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 1   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 2   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 3   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 4   ---   सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 5
- "चच्चा, दिल तो हमारा भी करता है कि एक ही झटके में इस्लामाबाद के छाती पर तिरंगा गार, सभी वाहियात मुद्दों पर विराम लगा दूँ| पर हमारे राजनीतिक दलों की दोगली नीति और पवित्र संविधान ने हम सैनाओं का हाथ बेड़ियों में जकड़ रखा है| क्या करें? अपने देश से प्यार जो करते है हम भारतवासी"|
- "कयामत आयेगी बेटा जी एक दिन| बस उसी वक्त का बेसब्री इंतज़ार है"|
चिंताग्रस्त होने के कारण मेजर साहब का गला सूखने लगा| वह सूबेदार साहब से पानी के जमें हुए बॉटल से पिघलाकर लाने को कहते है| सूबेदार दानिश वजाहत केरोसीन स्टॉव जला कर जमें हुए पानी के टुकड़े को पिघलाने लगते है| मेजर साहब वहीं बैठे मोबाइल हाथों में लेकर बार-बार फोन लगाने की कोशिश करने लगते है| बर्फबारी होने के कारनब नेटवर्क काम नहीं करता| हताश हो मेजर साहब मन मसोस कर रह जाते|
सिलसिले मुलाकातों का मत छोड़िएगा !!!  - भाग 4

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