कुछ प्यार जिसे अल्फाज़ो की जरुरत  नहीं  हुअा करता वो तो बस हो जाया करता है  नैनों से ही!!! कुछ एेसा ही वाला प्यार रूद्र  को भी हो गया था। जिसे एक नज़र  देखने को पूरा दिन ख्यालों का बाती जला कर दिल का मोम पिघलाता रहता। और शाम होते ही जुगनू  के तरह उसके दिल का बत्ती  भी जगमगा  उठता इस उम्मीद  में की वो फिर अायेगी और वो नज़र  भर देखेगा।

एेसा नहीं  है  कि मोहतरमा मलिकाए हुस्न  को खबर नहीं थी। नोटिस  तो वो बहुत पहले ही कर चुकी  थी।  लेकिन अभी तक लाईन क्लीर्य नहीं हुआ  था। शायद रूद्र के तरफ से पहल का इंतज़ार  हो या किसी और का ही परवाह उसे रोक रखा था? चाहे  जो हो इंतज़ार  क‍ा पल खत्म  तो होना ही था।
अाज कुछ  खामोश सी बैठी थी ज़ानशीन रूद्र  की। कुछ तो था जो यूँ वोडके पे वोडका चढ़ाए जा रही  थी। शायद किसी का इंतज़ार  या फिर कोई  चाहत??

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"शकिरा के ढ़िल्लों के साथ ये मुलाक़ात  तो एक बहाना है......." का युगलबंदी। मद्धिम से तेज और तेज से मद्धिम होते लाईट के रौशनियों में अंग्रेज़ी  बीट पे थिरकते युगल युवक-युवतियां और ये संगितमय शम़ा!! माहौल  को अपनी अागोश में लिये झूमती हुई  रात। और नशे  में धूत एक खुबसूरत  बला; रूद्र  को हाय! का इशारा  करती हुई  गोल-गोल नाचती हाथ  की उंगलियां।
हाय ! क्या नजारा था टेबल पे झुका हुआ  सर पलकों  की खिड़की  से झांकती हुई  दो बड़ी-बड़ी  अांखें। बरबस ही रूद्र  को अपनी ओर खिंचे जा रहा था। 

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सहयोगी के कानों में माईक्रो फोन लगा, रोमांटिक हिंदी सिनेमा का धुन डीजे पे बजाते हुए बढ़ा  दिया ‍अपना कदम जो हसिना के टेबल पर ही जा कर रुका। दिली तमन्ना का पूरा होने का अासार साफ नज़र अा रहा था। पहली  बार ! हाँ, पहली  बार ही तो है  जब किसी  हसिना के बाँहों में बाँहें डाल इस तरह डीजे पे झूम  रहा था। बीच-बीच में इशारों से बीट बदलते रहने को कहता रहता। पर रात का परिंदा चिड़ौरी कर अपने अाशियानें को जाने लगे थे। उतरती हुई  रात में छिटकी हुई  चाँदनी, पहली बार कोई  शब्द  सुनाई  दिया रुद्र  के कानों  को - "कैन यू ड्रॉप  मी??
गाड़ी  स्टार्ट करते हुए-"श्योर ! प्लीज सीट।

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न जाने कितने जन्मों  के दुअाओं का असर था किस पुण्य  का फल था  जो अाज इस कदर खुद-ब-खुद बिन मांगे मोती से खुशियों का दामन भड़ता ही जा रहा था। ख्यालों में ही रस्मों  की अदायगी  हो चुका था। तभी एक सुरिली अावाज़ उसके तंद्रा  को तोड़ते  हुए  कानों  में पड़ती  है - "स्टॉप"।

एक बहुमंजिला  बिल्डिंग के सामने बाईक रुक चुका था। रूद्र  को कुछ समझ अाता उस से पहले ही मैडम लड़खड़ाते हुए कदमों से जाने की कोशिश में वहीं अटक जाती है । रूद्र  उसे सहारा देकर फ्लैट तक छोड़ने चल देता है। > अंग्रेजी बीट - भाग - 3

Rajan Singh

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