अब आगे
सिराज ने सारा को वहीं गाड़ी से निकालकर उतार दिया और गुस्से से घर पहुंचा । निदा बेगम ने बेटे का जब तमतमाया हुआ चेहरा देखा तो खौफ़जदा हो गयीं । सिराज सीधे अब्बा के कमरे में गया और चिल्लाकर कहने लगा -"अब्बा आपने किसकी मर्जी से मेरी सगाई सारा के साथ करने का फैसला लिया ये जानते हुए भी कि मैं आलिया से मुहब्बत करता हूं"
"सिराज चुप हो जाओ एक दो टके की अनाथ लड़की के लिए अपने अब्बा से जबान लड़ा रहा है"
" हम तेरे वालिदैन हैं और हमें पूरा हक है तेरी जिंदगी के बारे में फैसला लेने का" कादिर साहब ने भी तैश में आकर जवाब दिया ।


दीवानगी का सुरूर - 1  ---  
दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3 --- दीवानगी का सुरूर - 4 --- दीवानगी का सुरूर - 5 --- दीवानगी का सुरूर - 6 --- दीवानगी का सुरूर - 7

"ठीक है अब्बा मैं ये घर ही छोड़कर चला जाता हूं मैं किसी शर्त पर सारा से निकाह नहीं कर सकता"
सिराज ने ठोस लहजे में कहा ।
"फिर ठीक है सिराज सोच लेना आज के बाद तेरे अब्बा मर चुके हैं" कादिर साहब ने बीवी की तरफ देखते हुए कहा ।"और आप भी सोच लीजिएगा आज के बाद आपका बेटा मर चुका है"
इतना कहकर सिराज तनतनाते हुए कमरे से बाहर निकल गया ।
निदा बेगम हैरान परेशान होकर बाप बेटे को तके जा रही थी । जब सिराज कमरे से बाहर गया तो निदा बेगम भी उसके पीछे लपकी, मगर ये क्या सिराज गाड़ी में बैठकर धूल उड़ाते हुए होशो हवास से बेखबर निकल गया  ।
निदा बेगम चिल्लाते ही रह गयी ।
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आलिया रूम पर जब आती है तो जोरों से उसका दिल धड़कता है । अपनी सहेली को शहरयार जुनैद के कारनामे सुनाती है तो, सहेली मशविरा देती है कि इस शहर को छोड़कर दूसरे शहर चले जाओ ।
"वहां मेरी एक सहेली है कोई न कोई जाब दिलवा देगी मैं उसे फोन कर दूंगी" फिर आनन-फानन में आलिया पैकिंग कर लेती है ।
सुबह छः बजे ही आलिया की सहेली उसे मैट्रो में बैठाकर वापस चली जाती है । और उसे हौसला रखने को कहती है । आलिया भी मुइतमईन (बेफिक्र ) हो जाती है ।

आलिया ने गोवा छोड़कर पूना जाने का फैसला लिया । सीट पर बैठकर आलिया अपने हालात के बारे में सोचने लगी ।
अगले स्टेशन पर ज्यों ही ट्रेन रूकी ।कुछ देर बाद आलिया की नजर जब सामने की सीट पर गयी तो ,शहरयार जुनैद को शान से मुस्कुराते हुए पाया ।

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आलिया का कलेजा धक से रह गया। आलिया अपना सामान उठाकर गेट के पास पहुंच गयी पीछे-पीछे शहरयार भी पहुँचा । आलिया मेट्रो से उतरी तो शहरयार जुनैद ने आलिया का हाथ जोर से पकड़ लिया और जबर्दस्ती उसे अपनी गाड़ी में लाकर बैठा दिया । "ओ जानेमन तू फ़कत मेरी है किसी और का तसव्वुर करना भी मत"
"तुझे बचाने अब कोई नहीं आएगा अब मैं तुझसे निकाह करके ही दम लूंगा"
गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए शहरयार ने कहा । "तुझे सिराज अहमद भी अब नहीं बचा सकता तू आलिया शहरयार जुनैद के नाम से जानी जाओगी"
शहरयार ने आलिया की लटों को गालों से हटाते हुए कहा । नफ़रत की ज्वाला आलिया के सीने में पनपने लगी ।
शहरयार ने एक शानदार होटेल में आलिया को ले गया और कमरे में बंद कर दिया ।
आलिया आखिरकार रोने लगी उसके पास बचाव का कोई रास्ता नहीं दिखा तो उसने हारकर सिराज का फोन मिलाया ।


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सिराज की आवाज सुनकर जैसे उसकी जान में जान आई हो ।
रात के आठ बजे चुके थे आलिया ने दुल्हन के लिबास पहनने से इंकार कर दिया तो जबर्दस्ती शहरयार उसे दुल्हन के लिबास पहनाने पर उतर आया । पागल आशिक था वह कुछ भी कर सकता था ।
जबर्दस्ती अपनी बाहों में आलिया को भींच लिया और कहने लगा -"आज तुम मेरी दुल्हन बन जाओगी फिर मैं बड़े प्यार के साथ गोल्डन नाइट मनाऊंगा"
उसने आलिया का चेहरा अपनी तरह करके रखा था नफ़रत से आलिया ने आँखें मूंद ली ।
"ओ मेरी जान बस कुछ घंटे उसके बाद तुझे मुझसे कोई जुदा नहीं कर पाएगा तेरा आशिक सिराज अगर बचाने आया तो उसे मौत के घाट उतार दूंगा" पैंट की जेब से रिवाल्वर निकालते हुए शहरयार बिफरा ।

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आलिया की आंखें रोते-रोते सूज गयी ।
दुल्हन के लिबास में आलिया शहरयार जुनैद के पास बैठी थी । शहरयार ने हाथ के घेरे से जबर्दस्ती उसे बैठा रखा था । काजी निकाह पढने लगा था कि तभी सिराज वहाँ पहुँचा उसने शहरयार पर झपट्टा मारकर आलिया को हटाया । पुलिस को लेकर आया था सिराज !
दोनों में लड़ाई होने लगी थी शहरयार ने गन निकालकर गोली दाग दी । गोली सिराज के कंधे में लगी । पुलिस ने शहरयार को गिरफ्तार कर लिया ।

सिराज को हास्पिटल ले जाया गया । जख्म ज्यादा गहरा नहीं था गोली कंधे को छूकर निकल गयी ।
सिराज बेड पर लेटा था आलिया सिराज के हाथ थामकर मोहब्बत का इकरार कर रही थी ।
आलिया के मोहब्बत के आंसू ने सिराज के सारे जख्म को भर दिया था।
"सिराज मुझे माफ कर दो मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूं" आलिया ने रोते हुए कहा ।

"निकाह करोगी हमसे तभी माफी मिलेगी" सिराज ने मोहब्बत लुटाती नजरों से सवाल किया ।
आलिया ने हां में सर हिलाया तो सिराज बेड से उठकर आलिया को सीने से लगा लिया । दोनों को ही आज करार मिल गया था । सिराज की मोहब्बत जीत गयी थी ।
हास्पीटल से निकलने के बाद सिराज ने एक शानदार होटेल में आलिया से निकाह कर लिया था ।
दोनों ही एक-दूसरे को पाकर खूब खुश थे ।
सिराज ने निदा बेगम को बता दिया था अपने निकाह की बात ,निदा बेगम ने फोन पर ही दोनों को ढेर सारी दुआएं दे डाली ।

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गोल्डन नाइट में सिराज ने जब होटेल के कमरे में तशरीफ रखा तो आलिया हया से सिमट गयी । सिराज वालेहाना अंदाज में आलिया की तरफ बढ़ा और घूंघट उलटा ।
आलिया की खूबसूरती देखकर सिराज को रस्क होने लगा खुद पर ।
चाँद भी शर्मा जाए ऐसा हुस्न देखकर । सिराज ने सोचा ।
हया की लाली ने आलिया को और खूबसूरत बना दिया था ।
सिराज ने डायमंड का कमरबंद आलिया के हाथ में रखा । कमरबंद बहुत महंगा और खूबसूरत था ।
बड़े प्यार से सिराज ने आलिया ने कमर में कमरबंद पहनाया । सिराज का लम्स पाकर आलिया बेसुध हो गई और सिराज मोहब्बत से सरसार था ।
दोनों ही एक-दूसरे के आगोश में फना हो गए ।
चांद तारे भी उनका मिलन रूत देखकर मुस्कुरा उठे ।
                    समाप्त 

Radha Yshi

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