अब आगे
आलिया अपने किरदार पर उठायी गयी अँगुली को बर्दाश्त कैसे कर सकती थी? और वैसे भी सिराज को पाना मतलब चांद को पाना ! मगर  अपने को आलिया इस लायक नहीं समझती थी कि सिराज की शरीके हयात बनने के ख्वाब देख सके । उन  लोगों के साथ एहसान फरामोशी का काम करना नहीं चाहती थी , इसलिए आलिया ने सोचा दूर जाने का! इसलिए दिल्ली से दूर गोवा आ गयी । यहाँ आलिया की एक सहेली रहती थी !उसने कहा था कि कोई जाब लगा दूंगी तो आलिया पुरसुकून (बेफिक्र)  हो गई ।
अपने अल्लाह ताला पर भरोसा करके आलिया ने जीवन का एक नया सफर फिर से शुरू किया ।
आलिया की सहेली जीनत ने आलिया को ऑफिस में सेक्रटरी की जाब दिलवा दिया । आलिया के इन्टरव्यू अच्छे गए और जीनत की सिफ़ारिश पर आलिया को जाब मिल गयी। तीन दिन बाद उसने ऑफिस ज्वाइन कर लिया ।


दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3 --- दीवानगी का सुरूर - 4 --- दीवानगी का सुरूर - 5 --- दीवानगी का सुरूर - 6 --- दीवानगी का सुरूर - 7

कभी-कभी सिराज अहमद का चेहरा आलिया के सामने घूमने लगता और वह बेचैन हो जाती ।
निदा आंटी की बेलौस चाहत जब भी याद आती आलिया रो देती ।
मगर कर भी क्या सकती थी ?
ज़िंदगी ने इम्तिहान लेना जो शुरू किया तो ख़त्म ही नहीं किया ।
आलिया बहुत हस्सास लड़की थी । वक्त़ के साथ जीना सीखने लगी थी ।
एक महीने बाद जब आलिया ऑफिस से शाम को निकल रही थी कि बेध्यानी में किसी शख्स से टकरा गई ।
जब उसका चेहरा देखा तो आलिया खौफ़जदा हो गई  । शहरयार जुनैद ने जब आलिया को देखा तो उसकी आँखें चमक उठी ।
"ओ बिल्लो रानी मुझे छोड़कर कहां छिप गयी थी"
" मैंने तुझे ढूंढने के लिए सहरा की खाक छानी है आखिरकार मेरी बिल्लो रानी मिल ही गयी"
शहरयार ने आलिया के हाथ को जबर्दस्ती पकड़ते हुए कहा ।

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आलिया ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की "छोड़ों कमीने मेरा हाथ"
आलिया ने नफ़रत उगलती आँखों से कहा । शहरयार की आंखों से राल टपक रही थी जैसे बस चले तो आलिया को खा ही जाए । आलिया ने मन ही मन ढेर सारी बद्दुआएं दे दी ।
शहरयार ने हाथ छोड़ दिया तो बड़ी तेजी के साथ आलिया वहाँ से निकली ।
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इधर सिराज की हालत पागलों जैसी हो गई थी । उसने अपने तरीके से डिटेक्टिव भी लगा दिया था आलिया का पता लगाने के लिए । सेविंग करना भी छोड़ दिया था सिराज ने । जब भी नमाज पढता अल्लाह से आलिया की सलामती की दुआ करता ।
सिराज आलिया से इतनी मुहब्बत करता था कि उसके लिए वह पूरी दुनिया से लड़ सकता था ।
कादिर साहब अपने बेटे की परेशानियों से बेखबर सारा और सिराज की मंगनी तय करने में मशगूल (व्यस्त) थे ।
सिराज को इसकी भनक भी नहीं थी । शाम के समय ऑफिस में सिराज आलिया के ही ख्यालों में खोया था, कि तभी सारा को सामने देख अचंभित रह गया ।

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आलिया के ख्याल में वह इतना डूब गया था कि, सारा के आने का पता भी नहीं चल सका ।
सारा मिनी स्कर्ट और टाप में अपने अंग का प्रदर्शन कर रही थी । सिराज ने एक उचटती नजर डाला फिर हटा लिया । "सारा बैठो" सिराज ने बेमन से कहा ।
"क्या? सिराज मैं यहाँ बैठने नहीं बल्कि तुझे होटेल ले जाने आई हूं" सारा ने बड़ी अदा के साथ कहा ।
सारा का हुलिया देखकर सिराज को बेहद गुस्सा आ रहा था! लेकिन वह गुस्सा को दबाए हुए था ।
अब्बा का फोन आया तो उन्होंने हिदायत दे डाली कि "सारा को आउटिंग के लिए ले जाओ वह बोर हो रही है"
"मगर अब्बा मुझे ऑफिस में अभी काम है" सिराज ने मना करना चाहा लेकिन कादिर साहब ने कहा कोई भी बहाना नहीं चलेगा और फोन कट कर दिया ।
मजबूरन सिराज को सारा के साथ ऑफिस से निकलना पड़ा । साथ-साथ निकलते हुए सारा ने सिराज का हाथ थाम लिया तो सिराज ने झटके से हाथ छुड़ा लिया । 

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जब ड्राइविंग सीट पर सिराज बैठा तो फ्रंट सीट पर आलिया भी बैठ गयी । छोटे कपड़े में सारा खूबसूरत लग रही थी, गोरी लंबी टांगे किसी का भी होश उड़ा सकती थी । मगर सिराज कोई आम बन्दा नहीं था । उसे ऐसी लड़कियों से सख्त चिढ़ थी जो अपने अंग का प्रदर्शन करती हो । गाड़ी हवा से बातें करने लगी ।
सारा ने गाने का कैसेट लगा दिया "अगर तुम मिल जाओ ज़माना छोड़ देंगे हम'"
सिराज अंदर ही अंदर अब्बा पर उबल रहा था ।
मगर क्या कर सकता था? सारा ने खुमारी के आलम में दोनों हाथ सिराज के गले में डाल दिया और अपना सर उसके कंधे पर रख दिया ।
सिराज को जैसे किसी बिच्छू ने डंक मारा हो उसने फौरन गाड़ी का स्टेयरिंग छोड़ दिया ।
और ज़ोरदार थप्पड़ सारा के गाल पर जड़ दिया ।
सारा हैरान हो गई ।
"बदतमीजी की भी हद होती है सारा अपने दायरे में रहो इसी में तुम्हारी बेहतरी है" सिराज ने गुस्से से बिफरते हुए कहा ।

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"किस दायरे की बात कर रहे हो सिराज अहमद तुम मेरे होने वाले शौहर हो" "अगले हफ्ते हमारी सगाई है"
"अंकल ने तो अब्बू के साथ मिलकर
एहतेमाम(व्यवस्था) भी कर लिया है " सारा ने अपने गाल सहलाते हुए जवाबी कार्रवाई की ।
सगाई की खबर सुनकर सिराज बौखला गया ।
राधा यशी    आगे का भाग अगले अंक में

Radha Yshi

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