सिराज किसी भी सूरत में आलिया को खोना नहीं चाहता था । सिराज ये जानता था कि आलिया उससे मुहब्बत करती है, मगर पूछने पर इंकार कर बैठी ।
सिराज बेड पर लेटा सोच रहा था । सारा अली खाना उसके अब्बा के दोस्त की बेटी थी! जो हमेशा मॉडर्न लिबास में मेकअप से लिपी पुती रहती !सलीके से खड़ी भी होती ताकि लिबास खराब न हो जाए ।
सारा अली खान सिराज को फूटी आँख नहीं सुहाती थी । उसे तो प्राकृतिक सुन्दरता से प्यार था ।
उसे ऐसी लड़की का इन्तज़ार था, जिसे देखते ही उसका दिल धड़क उठे और उसे अपनी- अपनी सी लगे । आलिया को देखकर ऐसा ही लगा सिराज को ।
उसके ख़्वाबों की मलिका थी वह ।
चाहे कुछ भी हो जाय वह आलिया को अपनी शरीके हयात (जीवन संगिनी) बनाकर ही रहेगा ।
ये निश्चय करके सिराज सो गया ।
सुबह अम्मी की चीख सुनकर सिराज उठा घड़ी देखा तो सुबह के नौ बज रहे थे ।
"अम्मी क्या हुआ क्यों हलकान (परेशान)हो रही हैं ?"
"बेटा आलिया ने ये खत छोड़ा है तुम्हारे लिए"
सिराज ने अम्मी के हाथ से वह खत लेकर पढना शुरू किया ।
आदाब आंटी अंकल
मेरी वजह से आपलोगों को बहुत तकलीफ हुई जानती हूँ । आपलोगों ने मेरे लिए इतना कुछ किया है जिसका एहसान मैं पूरी उम्र चुका नहीं सकती ।
छः महीने में मैंने आपलोगों से बहुत प्यार पाया है ।
अपने अम्मी अब्बू की तरह । अंजाने में मुझसे गर कोई ख़ता हुई है तो माफ कीजिएगा ।
आंटी आपने मुझे बेटी माना है ताउम्र आप मेरे लिए मेरी अम्मी रहोगी ।
और सिराज जी मैंने आपके केवल एक सच्चा दोस्त माना और समझा है मेरा मशवरा है कि आप सारा अली से निकाह कर लेना और अंकल आंटी का ख्याल रखना ।
आपलोगों की चहेती
आलिया
खुदा हाफिज
सिराज खत पढकर सर पकड़कर बेड पर बैठ गया ।
निदा बेगम की आँखों से आंसू बहने लगे थे ।
"या अल्लाह कितनी प्यारी बच्ची थी उसकी रहनुमाई करना मेरे मौला" निदा बेगम ने आलिया के लिए दुआ मांगा ।
कादिर साहब को जब ये खबर मिली कि आलिया चली गई तो उसने निदा बेगम से कहा -" देखा निदा बेगम लड़की ने सोचा दाल नहीं गलने वाली है तो छोड़कर चली गई तभी कहता हूं अंजान लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए "
"कादिर साहब कुछ तो शर्म कीजिए आपकी बातें कितनी ओछी है" "नहीं जाती फिर भी इल्ज़ाम लगाते आप "
"वह बच्ची तो आपके ख्वाहिश को पूरा करने के लिए अपनी मोहब्बत और अम्मी का प्यार ठुकरा कर चली गई" "क्योंकि वह एक शफ्फाक(पवित्र ) किरदार की लड़की है"
निदा बेगम ने गुस्से से कहा ।
कादिर साहब की ओछी बातें सुनकर निदा बेगम ने अपना सर पीट लिया ।
सिराज ने पागलों की तरह आलिया को ढूंढना शुरू कर दिया! पूरे दिन भूखा प्यासा सिराज शहर में आलिया को ढूंढता रहा, लेकिन आलिया कहीं नहीं मिली । थक हारकर सिराज रात दस बजे घर लौटा ।
सिराज ने आलिया के घर फोन किया तो उसकी ताई ने फोन उठाया था! सिराज ने केवल इतना ही कहा कि आलिया गयी है वहाँ कि, उसकी ताई की जोर-शोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी ।
"देख लो भतीजी के काले कारनामें बार बार घर छोड़कर भागती है अब वहाँ से भी भाग निकली"
"यूं तो मुझे इल्ज़ाम देते थे कि ख्याल नहीं रखती सौतेला व्यवहार करती हूँ मगर वो लोग तो प्यार करते थे फिर क्यों भागी?" "जरूर किसी लड़के से नैन लड़ाने के लिए भागी होगी"
ये सुनकर सिराज को बहुत गुस्सा आया उसने फोन कट कर दिया । कुछ लोग कितने बदतमीज होते हैं सिराज सोचने लगा । आलिया की ताई से उसे बहुत नफरत महसूस हुई जाने कैसे आलिया इसके साथ रहती होगी ।
सिराज कमरे में आकर बैड गया । कुछ देर बाद निदा बेगम ने कमरे में तशरीफ रखा ।
"बेटा आलिया का कुछ पता चला "
निदा बेगम ने बेहद फिक्रमंदी से पूछा
"नहीं अम्मी नहीं मिली, मुझे तो डर इस बात का है अम्मी कि कहीं आलिया शहरयार के हत्थे न चढ़ जाए" "बहुत बेवकूफ लड़की है उसे इतना बड़ा रिक्स नहीं लेना चाहिए"
शहरयार ने एक-एक लफ्ज चबा चबाकर कहा ।
"बेटा तेरे अब्बा की बातें ही इतनी ओछी थी कि उसने जाने का फैसला ले लिया "
"अम्मी ये अब्बा को अचानक हो क्या गया है?" "इससे पहले कभी इस तरह की ओछी हरकतें नहीं करते थे किसी भी लड़की को बदकिरदार कहना गुनाह होता है" "मगर अम्मी ये सच है कि मैं आलिया से बेपनाह मुहब्बत करता हूं और उसे अपना बनाकर रहूंगा"
सिराज ने लफ्जों में सख्ती लाकर कहा ।
"आमीन" निदा बेगम ने कहा और सिराज के कंधे थपथपाकर चली गई ।
साथ में खाने की प्लेट भी वापस ले गयी सिराज ने खाने से इंकार कर दिया था । खुद निदा बेगम की भी भूख मर गयी थी । पानी पीकर वो भी बेड पर जाकर लेट गयी । कादिर साहब ने बीवी को एक नजर देखा और फिर वो भी सो गए।
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