फर्स्ट नाइट की रात में ही स्वरा ने अभय को बता दिया कि ,वह किसी लड़के से बहुत प्यार करती थी! लेकिन जब उसका रिश्ता तय होने लगा तो ,वह उस लड़के को शादी करने बोली मगर, उस लड़के ने शादी करने से साफ इंकार कर दिया । उल्टा उसने कहा "मैं तो बस इन्जॉय कर रहा था कोई शादी वादी नहीं करूंगा"
ये सुनकर स्वरा की आँखें भर आई। रोते-रोते स्वरा की आँखें सूज गयी । फिर अभय से स्वरा की शादी तय हो गई तो चुपचाप स्वरा ने शादी कर ली ।
अभय को जब स्वरा ने सारी सच्चाई बतायी तो, उसके दिल को ठेस लगी । वह स्वरा के करीब नहीं जा पाता था ।
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यूं तो स्वरा बीस साल की बेहद हसीन लड़की थी! मोहब्बत से गुंधी हुई । अभय पैंतीस साल का एक कामयाब बिजनेसमैन था । अभय की पर्सनेलिटी भी शानदार थी । मगर जब दोनों साथ खड़े होते तो स्वरा की खूबसूरती कुछ ज्यादा ही बोलती थी ।
स्वरा ने प्यार में धोखा खाया था! इसलिए अपने पति को किसी भी धोखे में रखना नहीं चाहती थी ।
सच के साथ रिश्तों का निर्वाह करना चाहती थी ।
इसलिए सारी हकीकत बताकर वो चैन से थी ।
उसे विश्वास था ,आज नहीं तो कल अभय उसे स्वीकार कर लेगा । स्वरा अपनी सासू मां का खूब ख्याल रखती थी । सासू मां के सामने अभय और स्वरा ऐसे रहते जैसे दोनों में खूब मोहब्बत हो ।
पर कमरे में आकर दोनों अजनबी बन जाते ।
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एक दिन स्वरा घर की साफ-सफाई कर रही थी ,रेक के ऊपर से डिब्बे उतारना था । मगर हाथ वहाँ पहुँच नहीं रहा था, टूल पर खड़ी होकर डिब्बे उतारने की कोशिश करने लगी कि ,तभी कमरे में अभय आया और उसने कहा ध्यान से गिर जाओगी तभी पलटी स्वरा और नीचे गिरने लगी कि ,अभय ने गोद में उठा लिया स्वरा को । स्वरा के हाथ में नुकीली कील चुभ गयी थी और रक्त बहने लगा था ।
अभय ने गोद में लेकर स्वरा को बेड पर बैठाया और उसके हाथों से कील निकालने लगा !कील निकलते ही स्वरा जोर से चीखी और अभय के सीने से लिपट गयी । अभय ने उसके जख्म को डिटोल  से साफ किया और पट्टी बांधी । स्वरा की आँखों से आंसू बह रहे थे, ये देखकर अभय का दिल फिसला उसने उसके आँसू पोछे उसे दवा देकर सुला दिया और अपने स्टडी रूम में आ गया ।
स्वरा को अभय का ये अपनापन बहुत अच्छा लगा ;उसने अपने जख्मी हाथों को चूम लिया ।
धीरे-धीरे स्वरा को अभय से मोहब्बत होती जा रही थी । स्वरा अपनी सासू मां के साथ पूरा दिन बिताती ।
हमेशा बेटे को कहती बहू को कहीं घुमाने ले जाया करो । नयी-नयी शादी है, मगर स्वरा प्यार से सासू मां को समझा देती और अभय स्वरा की समझदारी देखकर दंग रह जाता ।
ऑफिस में कुछ दिनों से काम बढ़ गया था । ज्यादा काम करने की वजह से अभय बीमार हो गया ।
टाइफाइड हो गया था अभय को ।
स्वरा ने दिन रात सेवा की अभय की । माथे पर पट्टी रखती । जब भी अभय को पानी की जरूरत होती पानी देती । आधी रात को दवा खिलाती । पूरी रात जगी रहती, पता नहीं कब उसे किसी चीज की जरूरत हो जाए ।
स्वरा चार दिनों से जैसे तैसे बनी थी, बाल भी नहीं बनायी थी । पांचवे दिन अभय की तबियत ठीक हो गयी । अभय की आँखों के आगे स्वरा का चेहरा घूम रहा था !कितनी परेशान हो गयी थी वह ,,खुद की कोई परवाह नहीं बस अभय की सेवा में लगी रहती थी ।
नहा धोकर अभय आज धूप सेंक रहा था छत पर ।
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स्वरा भी आज नहाकर आई थी, अभय को चाय देने, उसके भींगे बालों की लट ने अभय के गालों को छुआ तो अभय को अपना सा लगा । चाय देकर जब स्वरा नीचे जाने लगी तो अभय ने उसके हाथ पकड़ लिए और कहा "स्वरा अपने बाल धूप में सुखा लो फिर नीचे जाना " अभय की आँखों से मोहब्बत टपक रही थी ।
स्वरा कुछ देर के लिए बैठी रही धूप में और अभय स्वरा को अपनी नजर में तब तक उतारता रहा ।
अचानक अभय के मोबाइल की बीप बजी !ऑफिस का कुछ काम था उसने कहा अभी आता हूँ ।
जब स्वरा ने सुना तो ,मोबाइल छीन लिया और कहा अभी आप कमजोर हो आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं । गुस्से से भरा चेहरा देखकर स्वरा का, अभय के चेहरे पर मुस्कान आ गयी । स्वरा ने कुलीग को आफिस की फाइल लेकर घर बुला लिया था । > अब तू ही बता पिया - भाग - 3


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