लखिया ने सारा वृत्तांत सुनाया । जिसे सुनकर लखिया की अम्मा रोने लगी बोली "किसी को मत बताना ।"
लखिया ने भोलेपन में कहा "अम्मा इसमें गलत क्या है जिसने मुझे रात को पकड़ा उसे सजा दो ना ठाकुर साहब से कहना कल ।"
अम्मा बोली "नहीं लखिया चुप हो जा तुझे मेरी कसम ?"
लखिया समझ न पायी अम्मा ने कसम क्यों दी वह तो सबको बताकर जानना चाहती थी ऐसा उसके साथ क्यों किया । क्या मिला करने वालों को पर अम्मा की कसम याद आ जाती और फिर वह चुप हो जाती ।
इसी तरह एक महीने बीत गए ।
लखिया की अम्मा अब रात को उसे कहीं जाने ना देती । ठकुराईन की हवेली पर एक दिन लखिया घर साफ कर रही थी कि बरामदे देखा ठाकुर साहब सोए हैं उसके बायें हाथ पर वैसा ही मस्सा था ।
देखकर लखिया हैरान हो गई आकर अम्मा को बताया तो अम्मा बोली "किसी को मत बताना तुम ठाकुर साहब की नजरों बचकर रहना ।" लखिया कहती है "पर क्यों अम्मा मुझे बताओ ना ?"अम्मा बस रोने लगती है और रोते-रोते कहती है "हम गरीबों के किस्मत में इज्ज़त कहां ,
बस दो वक्त की रोटी मिल जाए यही काफी है ।"

दीपावली की रात - भाग - 1   ---   दीपावली की रात - भाग - 2   ---   दीपावली की रात - भाग - 3

लखिया कहती है "अम्मा तुम रोती क्यों हो ?सभी तो हमारी इज्ज़त करते हैं हमसे प्यार करते हैं ,
मगर ये ठाकुर साहब हमारे साथ ऐसा क्यों कर बैठे अम्मा बताओ ना ?"
जमुना काकी जा तू सो जा ज्यादा न सोच ।
फिर लखिया खटिया पर जाकर सोने की कोशिश करती है और समझना चाहती है आखिर ठाकुर साहब ने क्यों किया ऐसा क्या ये गलत होता है यही सोचते-सोचते वह सो गयी ।
लखिया एक दिन मंझली काकी का काम करके घर आ रही थी कि रास्ते में छोटे ठाकुर साहब मिल गए ।
और लखिया से बोले बैठो तुझे घर पहुंचा देता हूँ ।
लखिया झिझकते हुए बैठ जाती है गाड़ी के चलने से लखिया को उल्टी होती है जब घर आती है तो अम्मा उसे खटिया पर लिटा देती है ।
फिर लखिया खटिया पर जाकर सोने की कोशिश करती है और समझना चाहती है आखिर ठाकुर साहब ने क्यों किया ऐसा क्या ये गलत होता है यही सोचते-सोचते वह सो गयी ।

दीपावली की रात - भाग - 1   ---   दीपावली की रात - भाग - 2   ---   दीपावली की रात - भाग - 3

लखिया एक दिन मंझली काकी के काम करके घर आ रही थी कि रास्ते में छोटे ठाकुर साहब मिल गए ।
और लखिया से बोले "बैठो तुझे घर पहुंचा देता हूँ ।"
लखिया झिझकते हुए बैठ जाती है गाड़ी के चलने से लखिया को उल्टी होती है जब घर आती तो अम्मा उसे लिटा देती ।
मंझली काकी एक दिन जमुना काकी से कहती है "लखिया पेट से है ,
उसका पेट दिनोंदिन बड़ा होता जाता है ,
बहुत बार उसे उल्टी करते देखा है ।"
ये सुनकर जमुना काकी सन्न रह जाती है ।
पूरे गांव में ये खबर फैल जाती है कि लखिया पेट से है । > दीपावली की रात - भाग - 3

Radha Yshi

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