वो आग का दरिया था,

हमने समंदर जाना था,

पढ़े - लौट आया है अभिनंदन

गए तो थे प्यास बुझाने,

रह गए झुलस के हम अनजाने।

पढ़े - हमे लगा की हम उसे सहन कर

हम वो तराजू कहां से लाते,

जो अपनी वफ़ा तौलवाते,

पढ़े - मेरे शब्दों को यूँ 'कविता'

जो तुमने दिया, वो हमने सहा,

रोते रोते नहीं, हसते गाते खिलखिलाते।

Shubham Poddar

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