बुलंद सितारों को एक दिन झुकना ही होगा ।
शाम की आग़ोश में सूरज को ढलना ही होगा ।।

सूखे पत्तो को शाख पर नही भरोसा ।
    छोड़ेगा दरख्त तो मिट्टी में मिलना ही होगा ।।

किताबो की मुहोब्बत ताजा पंखुड़ियाँ ।
दबके पन्नो में नादान को सुखना ही होगा ।।

कारवाँ चलता रहेगा कयामत होने तक ।
छोड़कर सारी गलियाँ तुम्हे जाना ही होगा ।।

दिलसे निकालो चाहे नफरत भी करलो ।
 मुहोब्बत अगर सच्ची है तुम्हे आना ही होगा ।।

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