रोहन को गुमने का बड़ा ही शोख़ था। वैसे वो ६ साल बाद अपने शहेर (गांव) में वापिस लौटा था। गांव में आते ही वों अपने सारे दोस्तों को मिलने चला गया। गांव का माहौल उसे इतना पसंद आ गया कि उसने तई किया कि वो थोड़े दिन और रहेगा। घर पर रोहन की मां ने उसके लिए बढ़िया सा खाना बनाया।


रोहन ने खाना इतना खाली लिया था कि कल सुबह तक पेट ख़राब ना हो जाए वहीं सोच ने लगा। गांव में वेद जी थे उनके पास से वो कोई दवाई ले आए ये सोच के घर से निकला। मां को बता के गया। पर मां ने उसे घर से ही सूचना दी की रास्ते में जो अंधेरी गली पड़ती है वहा पर अपनी नज़र भी ना डाले। वहा पर भूत रहेता है रोहन को बताया तो वो ज़ोर ज़ोर से हसने लगा। मां को बोला कि " क्या मां आप आज के ज़माने में इसी बातो पे विश्वास करती हो"। फिर क्या होना था रोहन की मां गुस्सा हो गई।

रोहन समझ गया की मां को अब कुछ और बोला तो घर से बाहर निकल ने नही मिलेगा। रोहन ने ना कि बातों में अपनी हा मिलाई पर उसने तैय कर लिया के आज इस बात से परदा उठा के ही रहेगा कि आखिर माजरा क्या है। घर से निकल ने के बाद अपने दोस्तों को मां की बातें बताई। रोहन के दोस्त भी उसे समझा ने लगे कि ये सारी बाते सच है। 

तुम कुछ दिन के लिए ही गांव आए हो तो मजे करो पर गांव में रहने वाले लोगों के लिए ख़तरा मत खड़ा करो। रोहन को दोस्तो की बातो से गुस्सा आया और बोला की आज तो मैं ये राज़ जान के ही रहुगा। और वो वेद जी पास जाने की वजह अंधेरी गली की अोर चला पड़ा। रास्ते में बिल्ली ने रोहन का रास्ता काटा। ये सब रोहन के दोस्तों ने देख लिया और वहा से दुम हिलाते भाग गए।

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