आज फूलो को खिलनेका इख्तियार नही
खुद से शाम को ढलनेका इख्तियार नही

पढ़े - बुलंद सितारों को

हवा तय करती है पैमाईश-ए-रोशनी
शमा को खुद बुझने का इख्तियार नही

पढ़े - अधूरी ख्वाहिशें

असर अपना दिखाएगी अंगूर की बेटी
पैमाने को लड़खड़ाने का इख्तियार नही

पढ़े - ज़ुस्तज़ु 

लबो पे ठहरा है अब उसका ही नाम
खुदको दास्तान बताने का इख्तियार नही
नजर में तसवीर अब एक ही उतारी
किसी और को बसनेका इख्तियार नही

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