मैं सलोनी आज बहुत व्याकुल अवस्था में हूँ, समझ नहीं आ रहा है क्या करूं? एक लड़का मेरी ज़िन्दगी में आया !मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे उससे प्यार हो जाएगा । मगर उसकी अच्छाई और सादगी ने मेरे दिल में प्यार के भाव जगा दिए ।


उसकी जितनी भी तारीफ़ करूं बहुत कम है ,क्योंकि वो मेरे लिए एक इंसान नहीं एक मसीहा है ।
जिसने मुझे एहसास कराया कि प्यार क्या होता है , मगर मेरा अतीत काले साये की तरह मेरा पीछा कर रहा है ,जो मुझे चैन से जीने नहीं देता है न ही मरने देता है ।

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3

क्योंकि अतीत में भी मैंने एक लड़के से प्यार किया था ,बेपनाह मोहब्बत की ,टूटकर चाहा था ।
मगर उसने मुझे धोखा दे दिया ,शादी का वादा करके उसने मेरा साथ छोड़ दिया! क्योंकि उसकी फैमिली ने मुझे पसंद नहीं किया था ,अपनी फैमिली के खिलाफ नहीं जा सका वो ।उसकी फैमिली ने मुझे हजार गालियाँ सुनाई थी । 


"वैश्या से भी बदतर हो तुम" "ज्यादा जिस्म की आग भड़कती है तो कोठे पे जाकर अपनी आग बुझा लो"
 उनके भाई के ये शब्द नहीं थे, प्राण घातक बाण थे,
जो तलवार की भांति मेरे सीने के आर पार हो गए ।उसी दिन एक नारी अंदर से मर गयी वो असहाय थी, उसके जज्बात समझने वाला कोई नहीं था! मेरी मोहब्बत हार गयी थी ,और मेरे महबूब का भाई मेरी हालत पे ताली पीटकर हँसता रहा ।

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3

डिप्रेशन की शिकार हो गयी थी मैं ! वैश्या शब्द बार बार मेरे कानों को बेंधते रहते हैं उस अपमान की ज्वाला में जलती रहती हूं मैं प्यार के खोने से ज्यादा दर्द एक नारी के सम्मान खोने से दर्द हुआ ।
मेरे अंदर की नारी सोते से जाग उठती है और चिल्लाकर कहती है मैं वैश्या नहीं हूं मुझे वैश्या का नाम मत दो मैं पाक हूं मेरा दामन पाक है । फिर मेरी चीख अंदर ही अंदर घुट जाती है और आँसू से मैं अपने दामन के दाग को धोने लगती हूँ ।

हां मैं पवित्र हूँ मगर अपनी पवित्रता का यकीन कैसे दिलाऊ? उसने तो आसानी से ये शब्द भेदी बाण छोड़ दिया मगर ये मुझे बहुत तड़पाती है ।
एक नारी होने पर कभी-कभार खुद से ही नफ़रत हो जाती है ।
दो बार सुसाइड भी किया था, पर फिर भी बच गयी । उसकी शादी हो गई उसके बच्चे भी हो गए ।
मगर मैं डिप्रेशन से बाहर नहीं निकल सकी । बहुत इलाज के बाद मैं डिप्रेशन से बाहर निकली!
डिप्रेशन से बाहर निकलने में एक मेरी सहेली ने बहुत मदद की ।
उसका एहसान कभी नहीं भूल सकती । इस पूरी दुनिया में मुझे अपनी सहेली के सिवा कोई अपना ऩजर नहीं आता था ।

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3

फिर मेरी जिंदगी में प्रकाश आया जिसने मुझे बहुत प्यार किया ।
लेकिन जब उसने पूछा क्या तुमने किसी से प्यार किया है ?
तो मैंने झूठ कहा कि "मैंने किसी से प्यार नहीं किया केवल तुमसे किया है ।"
मगर अंदर से मुझे बहुत तड़प होती है, अगर उसे मेरे अतीत के बारे में पता चला तो वो सुसाइड कर लेगा, क्योंकि वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएगा ।

अब कैसे उसको कहूं ,नहीं कहती हूं तो मेरी आत्मा मुझे धिक्कारती है । फिर सोचती हूं कह डालूं क्या हुआ जो वो हमसे नफ़रत करेगा तो, मैं उसके प्यार के काबिल नहीं मानती खुद को ।
लेकिन मैं उसकी आँखों में भी आँसू नहीं देख सकती ।
इसलिए दोस्तों मेरी समस्या का समाधान बताइये कि मुझे क्या करना चाहिए ।


Radha Yshi

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