क्योंकि अतीत में भी मैंने एक लड़के से प्यार किया था ,बेपनाह मोहब्बत की ,टूटकर चाहा था ।
डिप्रेशन की शिकार हो गयी थी मैं ! वैश्या शब्द बार बार मेरे कानों को बेंधते रहते हैं उस अपमान की ज्वाला में जलती रहती हूं मैं प्यार के खोने से ज्यादा दर्द एक नारी के सम्मान खोने से दर्द हुआ ।
हां मैं पवित्र हूँ मगर अपनी पवित्रता का यकीन कैसे दिलाऊ? उसने तो आसानी से ये शब्द भेदी बाण छोड़ दिया मगर ये मुझे बहुत तड़पाती है ।
फिर मेरी जिंदगी में प्रकाश आया जिसने मुझे बहुत प्यार किया ।
अब कैसे उसको कहूं ,नहीं कहती हूं तो मेरी आत्मा मुझे धिक्कारती है । फिर सोचती हूं कह डालूं क्या हुआ जो वो हमसे नफ़रत करेगा तो, मैं उसके प्यार के काबिल नहीं मानती खुद को ।
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