शकीना और लता दोनों घनिष्ठ सहेली थी ।
शकीना और लता दोनों तालाब पर आई थी मच्छी पकड़ने । दस साल की सकीना और ग्यारह साल की लता थी । लता बहुत ही गरीब परिवार से थी । लता के बाबूजी मजदूरी करके घर चलाते थे । लता का नौ साल का छोटा भाई था । वह कुछ दिनों से बीमार चल रहा था ।डाक्टर ने कहा इसका बचना मुमकिन नहीं है ।


गरीब के सर पर पहाड़ टूट पड़ा , पैसे पास में थे नहीं जो इलाज कराते !
इसलिए मौत के दिन गिन रहे थे ।
एक दिन लता का छोटा भाई बोला-" दीदी मुझे मच्छी भात खिला दे मरने से पहले खाना चाहता हूं ।"


लता - "भाई ऐसा न बोल मैं सकीना के साथ तलाब पर से मछली पकड़ने जाती हूँ "
"तुझे मछली भात खिला दूंगी ।"
उसके छोटे के पीले चेहरे पर मुस्कान रींग गई ।
लता के बाबूजी कारेलाल कब तक बेटे का शोक करता ! मजदूरी करने निकल पड़ता, फिर भी दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती ।
लता बंशी लेकर मछली पकड़ने लगी । एक बहुत बड़ी मछली फँसी तो लता चिल्लायी!
" सकीना जल्दी आओ बाहर निकालने में मदद करो!"


जब तक सकीना मदद को आती, लता पानी में गिर पड़ी । बंशी भी हाथ से छूट गयी । लता चिल्लाने लगी सकीना मुझे बचाओ ।
सकीना ने इधर-उधर देखा एक मोटी लकड़ी नजर आई तो, सकीना ने लता की तरफ बढ़ाया, फिर लता ने लड़की पकड़ लिया फिर धीरे-धीरे ऊपर आ गयी।
किनारे में ही गिरी थी लता इसलिए निकल आई ।
सकीना जोरों से रोने लगी थी । लता अभी तुम तालाब  में डूब जाती तो फिर मेरी सहेली कौन बनती ।


सकीना तुमने तो बचा लिया मुझे अब चुप हो जा।
"सकीना मैं अपने भाई को मच्छी भात कैसे खिलाऊंगी अब!  फिर लता भी रोने लगती है ।
लता मत रो आज मेरे घर मच्छी भात बना है मैं अपना हिस्सा तुझे दे दूंगी और तुम चुपके से अपने भाई को खिला देना । सकीना ठीक है फिर दोनों सहेलियाँ आँसू पोंछकर घर आती है ।


लता झोपड़ी के अंदर कदम नहीं रखती है क्या जवाब देगी अपने भाई को!
 इसलिए बाहर ही बैठी सकीना की राह देख रही थी । लता की माई कपड़े धोने गई थी ।
एक घंटे बाद सकीना बर्तन में मच्छी भात चुराकर लाती है । लता देखकर खिल जाती है फिर वह बर्तन लेकर अपने भाई को देती है उसका भाई मच्छी भात देखकर खिल जाता है "दीदी तुम मेरे लिए ले आई तू कितनी प्यारी दीदी है!"


 वह जल्दी-जल्दी खाते भी जाता और बोलते भी जाता । "भाई जल्दी से खा लो वर्ना माई आ गयी तो मुझे पीटेगी ।" तभी लता की माई आ गयी !
और बेटे को मच्छी भात खाते देखकर सारा माजरा समझ गयी । फिर लता के बाल पकड़कर बाहर लाई और पीटने लगी । सकीना भी डर गयी ।
माई मुझे मत मारो । "लता तूने मुस्लिम के घर का खाना क्यों खिलाया भाई को?"


" पता है ना कस्बे वाला बाहर कर देंगे पता चला उनको तो । "
"हां माई पता है लेकिन तुम ही बताओ माई क्या जिंदगी और मौत से बढकर है हिन्दू-मुस्लिम होना ?"


"मेरे भाई की मौत से बड़ा है माई "
लता की माई के हाथ रूक गए, उसकी आँखें भर आई ।
लता माई को झिंझोरती रह गयी ,लेकिन लता की माई निरुत्तर हो गई थी ।


राधा यशी

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