प्रकाश ने खुशी-खुशी बताया कि उसका पेपर अच्छा गया पास हो गया तो प्रोफेसर बन जाएगा ।
ये सुनकर खुशबू भी खुश हो गयी ।
प्रकाश ने खुशबू की उदासी को भांप लिया था फिर खुशबू को कॉफी शॉप पर ले गया ।
अपने सामने प्रकाश को देखकर खुशबू के जज्बे उबलने लगने और प्रकाश ने भी कॉफी पीते पीते अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया खुशबू के बदन में सिहरन होने लगी मगर उसकी शादी पक्की होने वाली थी ये सोचकर उसकी आँखें भर आई ।
प्रकाश ने बेहद प्यार से पूछा क्या हुआ ? खुशबू तो उसने कहा -"मेरी शादी पक्की होने वाली है "
ये सुनकर प्रकाश ने अपना हाथ उसके हाथ से हटा लिया । फिर कहा-" खुशबू मैं तेरी हर बात को समझता हूँ तेरी उदासी को भी मगर मैं आत्मनिर्भर नहीं था फिर कैसे तुमसे इजहार करता है ?"

इश्क़ मेरा विकलांग नहीं  - 1  इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 2  इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 3
"मुझसे तेरी शिकायत अपनी जगह सही है ,
मगर सोचो तेरे मम्मी पापा एक विकलांग और बेरोजगार को अपना दामाद कबूल करेंगे शायद नहीं करेंगे"

"मेरे दिल में तेरे लिए बेशुमार प्यार है और हमेशा रहेगा मैं बस तुझे हर हाल में खुश देखना चाहता हूँ अगर ये रिश्ता अच्छा है तो शादी कर लो मुझे कोई एतराज नहीं है मैंने निःस्वार्थ प्रेम किया है तुमसे!"
ये सब सुनकर खुशबू बोली -

"मगर मैं एक कोशिश करना चाहती थी आप मेरे घर आकर बात करो मम्मी पापा से अगर वो नहीं माने तो फिर उससे शादी कर लूंगी । "

ठीक है अगर तेरी ये इच्छा है तो जरूर जाऊंगा बात करने" फिर खुशबू घर आ गई
अगले दिन शाम को प्रकाश आया था घर खुशबू की मम्मी ने दरवाजा खोला ।
प्रकाश ने कहा -"आंटी आपसे बात करनी थी" तो उसकी मम्मी ने उसे कमरे में बैठाया जहाँ खुशबू के पापा भी थे  प्रकाश ने कहा -" मैं एक सीधा-सादा लड़का हूँ कालेज में पार्ट टाइम जाब करता हूं और लड़के को ट्यूशन देता हूं इसी से अपना खर्च निकालता हूँ ।"
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"मम्मी पापा का देहांत हो गया ,एक भाई है जो अपनी पत्नी के साथ रहता है!"
" मैं अगले साल तक प्रोफेसर बन जाऊंगा परीक्षा दी है पेपर अच्छा गया ,


और अंत में इतना कहना चाहूंगा कि मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूँ अगर आपलोगों को कोई एतराज न हो तो ।"
इतना कहकर प्रकाश उनकी ओर देख
ये सुनकर खुशबू के पापा ने कहा -"कोई बात नहीं बेटा हमने खुशबू का रिश्ता पक्का कर दिया है इसलिए शायद तुम लेट हो गए प्रकाश ने अपनी मायूसी छिपा ली और चला गया ।
खुशबू ने मम्मी को कहा -" मम्मी आपसे इंकार क्यों किया तो खुशबू की बुआ ने कहा विकलांग से कैसे तेरी शादी कर सकती है तेरी मां वैसे भी तेरा रिश्ता अमीर घर में पक्का हुआ है तेरी फोटो देखकर ही सबने पसंद कर लिया और कल आ रहे मंगनी करने ।
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खुशबू की आँखों में आंसू थे उसकी मम्मी ने उसका बाहर निकलना भी बंद कर दिया ।
लड़के वाले आए थे खुशबू के लिए जोड़े कपड़े लाए थे जब पहनकर आई खुशबू तो लड़का एकटक देखते रह गया । खुशबू की खूबसूरती में बला की मासूमियत थी चेहरा उदास था उसका ।
लड़का का नाम दिनेश था अँगूठी पहनाते वक्त खुशबू के हाथों को छूकर मुस्कुराया तो खुशबू को ऐसा लगा जैसे इसने लड़कियों को देखा ही नहीं कभी ।
चेहरे से राल टपक रही थी ।


मगर चारों तरफ नजर घुमाकर देखा तो सभी खुश नजर आ रहे थे ।
दिनेश ने जबरदस्ती एक मिठाई खुशबू के मुँह में डाल दिया । आसपास की लड़कियाँ दिनेश की रईसी देखकर फिदा थी । दिनेश ने खुशबू को डायमंड रिंग दिया साथ एक ही एप्पल फोन दिया ।
जबरदस्ती चेहरे पर मुस्कान सजाए खुशबू को लेना पड़ा । पता नहीं क्यों खुशबू को इस माहौल में घुटन हो रही थी । प्रकाश की आंखों से पवित्रता टपकती थी जिसमें उसके लिए बेशुमार चाहत की लहरें ।
मगर उसको कोई समझने के लिए तैयार नहीं था ।
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रात को खुशबू ने खाना नहीं खाया मम्मी से झूठ कहा कि खा ली फिर सो गयी ।
ठीक बारह बजे मोबाइल की बीप ने उसकी नींद तोड़ दी खुशबू को गुस्सा आया और उसने मोबाइल ऑफ कर दिया क्या तंग करने के लिए ही दिया था मोबाइल फिर मन ही मन दिनेश को कोसती रही ।
फिर सो गयी ।
बुआ की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था आने जाने वाले को शौक से बताती अमीर घर में रिश्ता हुआ है मैंने ही कराया ।
खुशबू तो कुढने लगती पर कर क्या सकती थी ।


दिनेश का जब भी फोन आता सड़क छाप मजनूं वाले डायलॉग सुनकर बोर हो जाती ।
किसी तरह बर्दाश्त करके सुनती वो केवल खूबसूरती की ही चर्चा करता ।
संडे को उसने फरमाइश की मेरा जन्मदिन है तुमको आना होगा खुशबू ने मना कर दिया।
पर दिनेश उसके मम्मी पापा से इजाजत ले ही लिया वैसे भी शादी को केवल पच्चीस दिन बचे थे इसलिए उसके मम्मी पापा ने जाने दे दिया ।
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शाम को चार बजे दिनेश आया गाड़ी लेकर खुशबू हल्के रंग का सूट पहनकर आई थी और बेहद हसीन लग रही थी । दिनेश एक शानदार होटेल में खुशबू को लेकर गया । खुशबू -"आपने तो कहा था आपका जन्मदिन है पार्टी होगी तो यहाँ कहां कुछ है? "
"हां पार्टी रात को शुरू होगी "दिनेश ने कहा 
खुशबू का जी चाह रहा था कि उसका सर फोड़ दे लंगूर कहीं का खुद में ही उसे गाली देकर अपना भड़ास निकाल रही थी।


Radha Yshi

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