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कबीर मंदिर लाख का, जडियां हीरे लालि । दिवस चारि का पेषणा, बिनस जाएगा कालि ॥
अर्थ: यह शरीर लाख का बना मंदिर है जिसमें हीरे और लाल जड़े हुए हैं.यह चार दिन का खिलौना है कल ही नष्ट हो जाएगा. शरीर नश्वर है – जतन करके मेहनत करके उसे सजाते हैं तब उसकी क्षण भंगुरता को भूल जाते हैं किन्तु सत्य तो इतना ही है कि देह किसी कच्चे खिलौने की तरह टूट फूट जाती है – अचानक ऐसे कि हम जान भी नहीं पाते !
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