कबीर लहरि समंद की https://www.readapoetry.com/2019/01/kabir-lahre-samunder-ki.html

कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई।
बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई।

कबीर लहरि समंद की https://www.readapoetry.com/2019/01/kabir-lahre-samunder-ki.html

अर्थ:कबीर कहते हैं कि समुद्र की लहर में मोती आकर बिखर गए। बगुला उनका भेद नहीं जानता, परन्तु हंस उन्हें चुन-चुन कर खा रहा है। इसका अर्थ यह है कि किसी भी वस्तु का महत्व जानकार ही जानता है।

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