मेरे शब्दों को यूँ 'कविता' ना कहा कर, 

मेरे दिल के जज्बात है ये,

मेरे दिल से निकली शब्दों का संसार है ये।

जो भी सपने सच हुए हैं,

उनके गहरे राज हैं ये।

कुछ सपने टूटे भी हैं,

उसके गम का भाव है ये।

जिंदगी में खुशयो का वास नही,

पर हर शब्द खुद के लिए लिखता हूँ खास और नयी।

जीवन में प्रेम का ना कोई प्याला है,

पर हर शब्द मेरा मधुसाला है।

लिखता हूँ मैं जज्बातों को जीवन के गहरे राजो को तो कभी माँ की दिल की बातो को,कभी यार की यारी को तो लिखता हूँ कभी दुनियाँ-दारी को,

कुछ शब्दे लिखता हूँ काल्पनिक,तो कभी लिखता हूँ किसी के प्रेम-प्रषंग की बातो को।

       

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